हर्बल चाय की 'गर्मी' से गरीबी 'ठंडी'
स्वरोजगार का बनी आधार.. -बदलते माहौल में बाजार का मिला साथ मध्यप्रदेश तक फैला कारोबार -
महेश शर्मा, घाटमपुर :
जिंदगी में बढ़ती निजी जरूरतों ने कई महिलाओं के अंदर कुछ अलग करने की चाह जगाई। बदले माहौल में बाजार के मिजाज से उत्साह बढ़ने संग सोच परवान चढ़ी। इससे हर्बल चाय का काम स्वरोजगार का आधार बन गया। नतीजा, कानपुर और आसपास जिलों के साथ प्रदेश की सीमा से सटे मध्यप्रदेश तक कारोबार फैलने से पतारा के हैप्पी लाइफ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का जीवन भी 'हैप्पी' हो गया है। गर्म चाय की चुस्कियां लोगों को इतनी भा रही हैं कि उनके परिवारों की गरीबी 'ठंडी' पड़ गई है।
घाटमपुर तहसील अंतर्गत पतारा निवासी रीतिका श्रीवास्तव, निधि, दीपिका की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। मध्यमवर्गीय परिवार की इन महिलाओं ने करीब तीन साल पहले स्वावलंबी बनने का ख्वाब देखा। उसे साकार करने के लिए पड़ोस की पिकी, रोली कुशवाहा, मीनाक्षी, शोभा, रंजना, अंकिता, रिया से बातचीत कर राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत हैप्पी लाइफ स्वयं सहायता समूह बनाकर बैंक में खाता खोल हर्बल चाय का कारोबार शुरू किया। रीतिका अध्यक्ष और निधि कोषाध्यक्ष बनीं। एक निजी स्कूल के शिक्षक आशीष श्रीवास्तव ने भी खाली वक्त में समूह के उत्पादों की मार्केटिग में हाथ बंटाना शुरू किया। इससे मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना व ग्वालियर तक के घरों तक चाय की खुशबू पहुंच रही है। ऐसे बनती हर्बल चाय
रीतिका के मुताबिक, अर्जुन की छाल, गुलाब के फूलों की पंखुड़ी, अश्वगंधा समेत दूसरी जड़ी-बूटियां मिलाकर हर्बल चाय तैयार होती है। इसमें मिलीं जड़ी-बूटियां गठिया समेत दूसरी बीमारियों में लाभकारी है। इसीलिए लोग चाय को खूब पसंद कर रहे हैं। इन उत्पादों का भी निर्माण व बिक्री समूह चाय के साथ फेस पैक, कब्ज दूर करने के लिए स्टमक प्रॉब्लम छू चूर्ण, एनर्जी ग्रोथ पाउडर, हार्ट एवं डायबिटीज केयर पाउडर बनाकर बेच रहा है। कोरोना काल में बढ़ी मांग
समूह की अध्यक्ष रीतिका बताती हैं, कोरोना काल में हर्बल चाय की मांग में इजाफा हुआ है, जिसे वह पूरा नहीं कर पा रही हैं। पिछले साल उन्हें राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 15 हजार रुपये की मदद मिली थी। अब अफसरों ने एक लाख रुपये मदद का भरोसा दिया है। इससे बेहतरी आएगी।