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Ayodhya Ram Temple News: श्रीराम के जयघोष संग बिठूर, तुलसी जन्मस्थली और चित्रकूट से अयोध्या भेजा मिट्टी और जल

कानपुर के बिठूर समेत प्रमुख घाटों से गंगाजल व माटी चित्रकूट के मंदाकिनी और भरतकूप का जल तथा तुलसीदास जी की जन्म स्थली की माटी एकत्र करके संत अयोध्या ले गए हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 05:10 PM (IST)
Ayodhya Ram Temple News: श्रीराम के जयघोष संग बिठूर, तुलसी जन्मस्थली और चित्रकूट से अयोध्या भेजा मिट्टी और जल
Ayodhya Ram Temple News: श्रीराम के जयघोष संग बिठूर, तुलसी जन्मस्थली और चित्रकूट से अयोध्या भेजा मिट्टी और जल

कानपुर, जेएनएन। अयोध्या में पांच अगस्त को होने जा रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन के लिए विश्व हिंदू परिषद का कानपुर समेत आसपास जहां-जहां भगवान श्रीराम के जहां-जहां पग पड़े थे, वहां की मिट्टी और जल ले जाने का संकल्प था। इसी क्रम में कानपुर के बिठूर समेत प्रमुख घाटों से पवित्र गंगा जल व माटी, वहीं चित्रकूट से भी मंदाकिनी व भरतकूप से जल और तुलसी जन्मस्थली से मिट्टी लेकर विश्व हिंदू परिषद के सदस्य व संत अयोध्या रवाना हो गए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय से पूजन के बाद पावन माटी व जल रवाना किया गया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कानपुर प्रांत प्रचारक श्रीराम ने कहा कि यह हम सब का सौभाग्य है कि हम सब इस गौरवशाली ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने जा रहे हैं। 

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विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने कानपुर प्रांत के अंतर्गत आने वाली 21 जिला इकाइयों से यह सामग्री एकत्र की है। इसमें सभी स्थानों से प्रमुख मंदिरों व नदियों का जल लाया गया था। कानपुर प्रांत के बजरंग दल के प्रांत संयोजक आचार्य अजीत राज पावन मिट्टी व जल लेकर अयोध्या रवाना हुए। कार्यक्रम का संचालन विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय सहमंत्री दीनदयाल गौड़ ने किया। कार्यक्रम में संघ के पूर्व प्रांत प्रचारक संजय, विभाग कार्यवाह भवानी भीख, प्रांत सह प्रचार प्रमुख अनुपम, कार्यालय प्रमुख गजेंद्र, गंगा नारायण आदि मौजूद रहे।

मंदाकिनी व भरतकूप का जल भी ले गए

वनवास काल के दौरान प्रभु श्रीराम ने सीता व लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे, यहां के कण-कण से उनकी यादें जुड़ी हैं। अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरू होने जा रहा है तो संतों की इच्छा है कि तपोभूमि की भी महती भूमिका हो। संतों, जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने पहले रामघाट पर पूजा अर्चना की। इसके बाद सती अनुसुइया के तपोबल से निकली पतित पावनी मंदाकिनी और भरतकूप का जल कलश में भरा। मंदकिनी, पयश्वनी, राघव प्रयाग, भरतकूप का जल व कामदगिरि व बाल्मीकि आश्रम की रज कलश में भराकर वाल्मीकि आश्रम के महंत भरतदास, महंत महेंद्रदास, महंत रामजन्मदास, निर्माही अखाड़ा के दीनदयाल दास, भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्र प्रकाश खरे, जगदीश गौतम, शिवरामदास आदि अयोध्या रवाना हुए।

तुलसी के जन्मस्थली की भी मिट्टी गई अयोध्या

अनन्य रामभक्त गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर से भी अयोध्या में राममंदिर के लिए मिट्टी और यमुना का जल भेजा गया है। तुलसीदास की पावन जन्मभूमि यमुना तट बसे राजापुर में मंदिर परिसर की मिट्टी की पूजा अर्चना कराकर कलश लेकर अयोध्या भेजा गया है।


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