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#Positive India: हेड कांस्टेबल के लेखक बेटे ने कोरोना से लड़ाई में लगाई अपनी पहली कमाई

किताब की रॉयल्टी में मिली रकम का आधा हिस्सा सीएम कोविड रिलीफ फंड और बाकी आधा गरीबों को राशन बांटने में लगा दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 09:55 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 05:43 PM (IST)
#Positive India: हेड कांस्टेबल के लेखक बेटे ने कोरोना से लड़ाई में लगाई अपनी पहली कमाई
#Positive India: हेड कांस्टेबल के लेखक बेटे ने कोरोना से लड़ाई में लगाई अपनी पहली कमाई

कानपुर, [मोहित गुप्ता]। आम तौर पर सभी युवा बचपन से ही अपनी पहली कमाई को लेकर तरह-तरह के सपने देखते हैं, कोई उसे धार्मिक कार्य में लगाने की बात कहता है तो कोई मंदिर में दान करने के लिए संकल्प ले चुका होता है, ज्यादतर अपनी पहली कमाई माता-पिता के हाथ में रखने की बात कहता है। लेकिन, एक हेड कांस्टेबल के लेखक बेटे ने अपनी पहली कमाई का ऐसा सदुपयोग किया है, जिससे न केवल उनके माता-पिता गौरवान्वित हैं बल्कि लेखक खुद देश-दुनिया के लिए मिसाल बन गए हैं। विष्णु ने इसके लिए रेल में किताब बेचने वालों को भी श्रेय दिया है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सभी को एकसाथ मिलकर आगे अाना चाहिए। 

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पहली किताब की रॉयल्टी में मिले 3.92 लाख

बर्रा सात के बी ब्लॉक निवासी अनिल कुमार लखनऊ डायल 112 में हेड कांस्टेबल हैं। उनके 19 वर्षीय बेटे विष्णु शुक्ल को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था। युवा कवि विष्णु ने पहली किताब से हुई सारी कमाई को गरीबों की सेवा में लगा दिया। कोरोना से लड़ाई के लिए उन्होंने प्रकाशक से मिली 3.92 लाख रुपये की रकम में 1.51 लाख सीएम कोविड रिलीफ फंड में दान किए और शेष रकम से 500 से ज्यादा गरीबों को राशन सामग्री बांटी। वह प्रतिदिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों की हर संभव मदद करने में जुटे हैं।

लोगों को पसंद आई आज की नजर

बीए द्वितीय वर्ष के छात्र विष्णु ने बताया कि 2018 में प्रयागराज से कानपुर आते वक्त ट्रेन में मुकेश नाम के युवक से मुलाकात हुई। बातचीत में कविता लेखन के प्रति मेरा प्रेम देखकर उसने किताब प्रकाशित करने का प्रस्ताव दिया। सितंबर 2018 में डेढ़ लाख रुपये जमा कर प्रयागराज के प्रकाशक से पहली किताब प्रकाशित कराई। 97 पेज की किताब 'आज की नजर' लोगों को पसंद आई। अब तक 25 हजार से ज्यादा किताबें बिक चुकी हैं। इसी साल अप्रैल में प्रकाशक ने 3.92 लाख रुपये दिए थे। इसमें से 1.51 लाख रुपये सीएम कोविड रिलीफ फंड को दिए हैं और शेष धनराशि से जरूरतमंदों को राशन सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। विष्णु ने किताब की सफलता का श्रेय रेलवे के वेंडरों को दिया, जिन्होंने ट्रेनों में जाकर किताब लोगों के बीच तक पहुंचाई।

पुलिस पर लिखी कविताएं

विष्णु के हेड कांस्टेबल पिता कोरोना काल में भी कर्तव्यों का बखूबी निर्वाह्न कर रहे हैं। उन्हें देखकर विष्णु ने ऐसे सभी पुलिसकर्मियों पर कविताएं लिखी हैं। इन्हें वह सोशल साइट पर शेयर भी करते हैं।


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