Move to Jagran APP

बस में अंदर का किराया 1200, छत का 800 रुपये

गाजियाबाद से लखनऊ जा रही एक बस को जब प्रशासनिक अमले ने जांच के लिए रोका तो हालात देखकर दंग रह गए। 55 सीटर बस में 120 यात्री भरे थे। छत पर भी कुछ लोग बैठे थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 01:31 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 06:02 AM (IST)
बस में अंदर का किराया 1200, छत का 800 रुपये
बस में अंदर का किराया 1200, छत का 800 रुपये

जागरण संवाददाता, कानपुर : गाजियाबाद से लखनऊ जा रही एक बस को जब प्रशासनिक अमले ने जांच के लिए रोका तो हालात देखकर दंग रह गए। 55 सीटर बस में 120 यात्री भरे थे। छत पर भी कुछ लोग बैठे थे। यात्रियों ने जब अपनी व्यथा सुनाई तो अफसर भौचक रह गए। बताया गया कि प्रति यात्री 1200 रुपये वसूले गए हैं। छत पर बैठने के लिए भी 800 रुपये चुकाए हैं। भूख प्यास से व्याकुल कई यात्रियों ने बताया कि उनके पास तो खाने के पैसे भी नहीं बचे।

loksabha election banner

हापुड़ निवासी चालक शहनवाज 27 मार्च को गाजियाबाद प्रशासन से अनुमति लेने के बाद 120 यात्रियों से भरी बस लेकर लखनऊ, सीतापुर के लिए निकला था। नौबस्ता हाईवे पर एसीएम प्रथम आरपी वर्मा, सीओ गोविदनगर नौबस्ता पुलिस के साथ चेकिग कर रहे थे। उन्होंने बस रोककर जांच की तो इस लूट की कहानी सामने आई। मेडिकल टीम ने सभी की थर्मल स्क्रीनिग की, फिर घर पहुंचने पर 14 दिन अकेले रहने की हिदायत दी। इस दौरान समाजसेवी संस्था व पुलिसकर्मियों ने सभी को लंच पैकेट दिया तो भूख से हलकान चेहरों पर कुछ रौनक आई। मेडिकल टीम ने बताया कि बस में कोई संदिग्ध नहीं मिला।

यात्रियों का दर्द

बस चालक किराया कम नहीं कर रहा था। रुपये भी मेरे पास 1100 से थे, इसलिए रातभर भूखे रहे। नौबस्ता में बस रुकी तो तब कुछ लोगों ने खाना खिलाया। -राजेश कुमार, बिहार बस में किस तरह से आये हैं, इस दर्द को बयां नहीं कर पाएंगे। पैर तो जैसे टूट गये हों। जब बस से उतरे तो सुकून मिला। - दीपक कुमार, उन्नाव काम बंद होने के बाद से रुपये का संकट है। इसके बाद चालक ने 800 रुपये लेकर बस की छत पर बिठा दिया।

- सुनील कुमार, बांदा घर से खाना-पानी लेकर चले थे। पानी जल्दी खत्म हो गया। प्यास भी लग रही थी, लेकिन कहीं भी पानी नहीं मिल रहा था।

-रिकू सिंह, बांदा

...............

साधन नहीं मिला तो जुगाड़ गाड़ी से निकल पड़े

कानपुर: नोएडा में काम करने वाले सात मजूदरों को जब कोई साधन नहीं मिला तो वे जुगाड़ गाड़ी से बिहार चल दिये। गाड़ी में सवार मोहम्मद शमशेर ने बताया कि वाहन न मिलने के कारण पानी की केन व कपड़े रखकर गांव निकले हैं। रात से उनके साथियों ने खाना नहीं खाया। नौबस्ता हाइवे पर ट्रांसपोर्टर अमर सिंह, हरिहर पाठक, विमल सिंह, संतोष सिंह ने सभी को भोजन कराकर पानी पिलाया।

----------

(तीसरी खबर)

बॉर्डर पर फंसे लोगों के लिए 150 बसें दिल्ली रवाना

जासं, कानपुर : दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर फंसे यात्रियों को लाने के लिए परिवहन निगम 150 बसें भेज रहा है। इनमें से 135 बसें शनिवार शाम तक रवाना कर दी गई। चालकों व परिचालकों की कमी के कारण बाकी बसें नहीं जा पाई थीं। ऐसे में एआरएम ने सभी से तत्काल ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा है। उधर, शहर से जाने वालों के कारण बस अड्डे पर भारी भीड़ नजर आई। दिल्ली और गाजियाबाद बॉर्डर पर हजारों की संख्या में लोगों के फंसे होने की जानकारी पर जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मादेव राम तिवारी ने शनिवार को परिवहन अफसरों के साथ बैठक की। इसमें दिल्ली रीजन की डिमांड पर कानपुर रीजन से 150 परिवहन बसें मुहैया कराई गईं। शाम तीन बजे तक सिर्फ 135 बसों को ही निकाला जा सका था। शहीद मेजर सलमान खान अंतरराज्यीय झकरकटी बस अड्डे के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक राजेश सिंह ने बताया कि चालक और परिचालक न आने के चलते 135 बसें भेजी गई हैं। पुलिस की कार्रवाई से डरे चालक-परिचालक तैयार नहीं हो रहे, लेकिन उन्होंने सभी से आपात स्थिति के कारण तत्काल ड्यूटी आने को कहा है।

बस अड्डे पर तैनात रही पुलिस

गाजियाबाद बार्डर से यात्रियों को लेकर बसें झकरकटी बस अड्डे पहुंचीं। यहां बस आते ही पहले से मौजूद यात्रियों ने बसों के पीछे दौड़ लगा दी। मामले की जानकारी पर बस अड्डे पर फोर्स तैनात किया गया। पुलिस कर्मियों ने सभी यात्रियों को दूर-दूर बैठाया। इसके बाद जिस रूट की बस आई उस रूट के यात्रियों को एक-एक कर बस में बैठाया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.