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गजब कारोबार ! एक कंपनी से खरीद करके दूसरी को 80 अरब घाटे में बेच दिया Kanpur News

फोरेंसिक ऑडिट में खुला खेल 18 ट्रांजेक्शन आंकड़े मिसमैच मिले तीन कंपनियों के जुड़ाव में दो कंपनियों का पता एक।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:55 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 09:42 AM (IST)
गजब कारोबार ! एक कंपनी से खरीद करके दूसरी को 80 अरब घाटे में बेच दिया Kanpur News
गजब कारोबार ! एक कंपनी से खरीद करके दूसरी को 80 अरब घाटे में बेच दिया Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड के हाथों धोखाधड़ी का अहसास होते ही कंसोर्टियम के लीडर बैंक ऑफ इंडिया ने फोरेंसिक ऑडिट कराया तो सभी हक्के बक्के रह गए। बैंक की तरफ से सीबीआइ को मिले प्रतिवेदन और सीबीआइ की बैंक सिक्योरिटी एंड फ्राड ब्रांच में उदय जे देसाई, सुजय देसाई समेत 15 लोगों पर दर्ज मुकदमे में शामिल 13 बिंदुओं की फोरेंसिक रिपोर्ट कई खेल खोल रही है। ऑडिट रिपोर्ट का मजमून कह रहा है कि फ्रॉस्ट इंटरनेशनल ने दाहिने हाथ से सामान खरीदा और 80 अरब के घाटे में बायें हाथ को बेच दिया।

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फ्रॉस्ट इंटरनेशनल ने 31 हजार करोड़ की खरीद दूसरे को 23 हजार करोड़ में बेची

जनवरी 2018 में लेटर ऑफ क्रेडिट का भुगतान न होने और खाते एनपीए होने पर बैंक जागे। अरबों रुपये का ट्रांजेक्शन दिखा रही कंपनी भुगतान क्यों नहीं कर रही है, यह जानने के लिए कंपनी के खातों का फॉरेंसिक ऑडिट कराया गया। हरी भक्ति एंड कंपनी ने ऑडिट किया और पांच जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी। फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, उदय देसाई की फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2017-18 तक फारेस्ट डिस्ट्रीब्यूशन एंड लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड (एफडीएलपीएल) से 31398.58 करोड़ रुपये की खरीद की और गफ डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (जीडीएल) को करीब आठ हजार करोड़ रुपये घाटे में 23,426.66 करोड़ में बेच दिया। ये दोनों कंपनियां हांगकांग स्थित तीसरी कंपनी फौस्टा लिमिटेड के जरिए एक-दूसरे से जुड़ी हैं। फौस्टा लिमिटेड, एफडीएलपीएल की सौ फीसद की स्टेक होल्डर है और जीडीएल व फौस्टा का पता एक ही है।

एक और मामला आया सामने

ऑडिट टीम ने एक और मामला खोला। बैट यूनीवर्सल प्राइवेट लिमिटेड, ब्रीज सेल्स ओवरसीज लिमिटेड व मैपल (यूके) लिमिटेड के निदेशक और पूर्व निदेशक आशीष टोडी अप्रैल 2008 तक फ्रॉस्ट ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के भी निदेशक रहे। इस दौरान इन कंपनियों से 4,371.17 करोड़ रुपये की खरीद और 4,411.48 करोड़ रुपये की बिक्री की गई। कई एग्र्रीमेंट और इनवाइस पर एक ही हस्ताक्षर मिले।

बिना माल भेजे ही दिखा दिया निर्यात

रिपोर्ट में है कि माल किसी और को बेचा लेकिन भुगतान किसी और ने किया। इसके अलावा बिना माल भेजे ही निर्यात दिखाया गया। उदाहरण बताया कि कंपनी ने अपने खातों में सितंबर 2017 में इंडोनेशिया से इंडोनेशियन स्टीम कोल और बिटुमिन कोल का निर्यात दिखाया। जब जांच हुई तो पता चला कि इंडोनेशिया से उस माह ऐसा निर्यात ही नहीं हुआ। ऐसे ही 18 कारोबारी ट्रांजेक्शन मिले, जिनके तथ्य मेल नहीं खा रहे थे। विदेशी व्यापार में लगे वेंडर और ग्राहकों के बिजनेस प्रोफाइल में असमान मिले। फोरेंसिक टीम ने गड़बड़ी का एक और उदाहरण दिया। कंपनी ने एक ही कांट्रेक्ट नंबर पर अलग-अलग पार्टियों से बिजनेस दिखाया। ऑडिट टीम ने इसे संदिग्ध माना है। 


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