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अयोध्या का ढांचा गिरने के बाद डॉक्टर बम ने कानपुर में ही बैठकर कराया था छह ट्रेनों में विस्फोट Kanpur News

वर्ष 1991 से 92 तक फेथफुलगंज में रुका था आतंकी जलीस इलाके को मानता था भरोसेमंद ठिकाना।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 02:30 PM (IST)
अयोध्या का ढांचा गिरने के बाद डॉक्टर बम ने कानपुर में ही बैठकर कराया था छह ट्रेनों में विस्फोट Kanpur News
अयोध्या का ढांचा गिरने के बाद डॉक्टर बम ने कानपुर में ही बैठकर कराया था छह ट्रेनों में विस्फोट Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। डॉक्टर बम नाम से कुख्यात आतंकी डॉ. जलीस अंसारी को लेकर आए दिन रहस्यों से पर्दा उठ रहा है। अब तक यही माना जा रहा था कि डॉक्टर बम अपने दोस्तों से वित्तीय मदद लेने के लिए कानपुर आया था, लेकिन सच्चाई यह है कि फेथफुलगंज इस आंतकी का पुराना और भरोसेमंद ठिकाना रहा है। वर्ष 1991 से लेकर 1992 तक वह यहीं पर बना रहा। अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने के बाद उसने यहीं बैठकर छह राजधानी ट्रेनों में सिलसिलेवार धमाके की साजिश को अंजाम दिया था। उसे उम्मीद थी कि यह ठिकाना खुफिया नजरों में नहीं है। इसी गलतफहमी में वह मुंबई से फरार होने के बाद सीधे कानपुर आ गया।

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आतंकी टुंडा ने सिखाया था बम बनाना

डॉक्टर बम 1989 में आतंकी अब्दुल करीम टुंडा के संपर्क में आया। टुंडा ने ही उसे बम बनाना सिखाया। प्रशिक्षण के दौरान बारूद के विस्फोट से एक बार उसका मुंह झुलस गया था। सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए उसने मुंबई छोड़ दिया और 1991 में कानपुर आ गया। फेथफुलगंज के जिस क्षेत्र से एसटीएफ ने उसे पकड़ा, उसी इलाके को उसने अपना मुख्यालय बनाया था। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में जब विवादित ढांचा ढहा दिया गया तो उसमें बदले की भावना जाग गई। खुफिया इनपुट के मुताबिक उसने कानपुर से ही दिल्ली से हावड़ा और हावड़ा से दिल्ली जाने वाली छह राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में बम रखने की साजिश रची, जिसमें दो लोगों की मौत और 30 घायल हुए थे। ट्रेनों में धमाकों के बाद उसने कानपुर छोड़ दिया था। खास बात यह कि इसी मामले में डॉक्टर बम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसका साथी निसार तुफैल अभी तक फरार है।

पुष्पक एक्सप्रेस से शहर आया जलीस

पैरोल समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले 16 जनवरी को डॉ. जलीस मुंबई से कानपुर के लिए पुष्पक एक्सप्रेस से चला। उसको लगता था कि कानपुर का ठिकाना खुफिया नजरों से बचा हुआ है, लेकिन खुफिया एजेंसियों की पड़ताल में उसका कानपुर कनेक्शन सामने आ चुका था। यह भी जानकारी की थी कि फेथफुलगंज में सौ युवकों का माइंडवास करके उसने ट्रेनों में धमाकों को अंजाम दिलाया था। तभी मुंबई एटीएस को पता चला कि डॉ. जलीस सुबह चार बजे ही मुंबई के आग्रीपाड़ा स्थित घर से निकलकर कल्याण रेलवे स्टेशन पहुंचा। वहां से करीब साढ़े नौ बजे पुष्पक एक्सप्रेस में सवार हुआ। कल्याण स्टेशन के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में वह ट्रेन में चढ़ते हुए कैद हो गया। स्पष्ट हो चुका था कि वह कानपुर आ रहा है। एजेंसियों को उसका पुराना ठिकाना पता था, इसलिए यहां पहुंचते ही यूपी एसटीएफ ने उसे धर दबोचा।

आतंकी जलीस की करतूतें

1989 : मुंबई के गोंडी में दो बमों से विस्फोट किया।

1989 : मुंबई में एक चुनाव कार्यालय में बम धमाका, दो लोगों की मौत और 13 घायल।

1989 : मुंबई के गंगादेवी थाने में बम रखा और खुद फोन कर बताया। डिफ्यूज करते समय बम फटा, दो घायल।

1989 : मुंबई के सीआइडी कार्यालय में बम रखने के बाद फोन करके बताया। बम निरोधक दस्ते ने डिफ्यूज किया।

1989 : मुंबई के बाइकला पुलिस स्टेशन में बम फेंका, एक व्यक्ति की मौत।

1989 : मुंबई के नयागांव पुलिस परेड मैदान में बम रखा, एक पुलिसकर्मी की मौत।

1989 : मलाड स्टेशन पर लोकल ट्रेन में ब्लास्ट किया, पांच लोग घायल। जुनैद पकड़ा गया जो बाद में बरी हो गया

1989 : मुंबई के बर्ली ग्राउंड में हैंडबैग में बम रखा।

1989 : मुंबई के शिवाजी पार्क में दो बार रैली में धमाके किए, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ।

1990 : प्रयागराज मेला क्षेत्र में बम धमाका, चार की मौत और 14 घायल।

1992 : पुणे में स्वारगेट बस डिपो में दो विस्फोट, एक की मौत, 30-35 घायल।

1992 : माटुंगा लोकल ट्रेन में साथी निसार ताहिर के साथ बम धमाके किए। दो की मौत व 10 घायल।

1992 : आजाद मैदान थाना मुंबई में चार बम धमाके। अदालत से हुआ बरी।

1992 : मुंबई के गिरगांव पुलिस थाना में बम रखा।

दिसंबर 92 : महत्वपूर्ण ट्रेनों में कराए धमाके, दो की मौत व 30 घायल।

1993 : मुंबई के जवेरी बाजार व हवामहल बाजार में तीन धमाके।

बुरका पहनकर देता था वारदातों को अंजाम

जलीस मौके पर जाकर विस्फोट भी कराता था। इस दौरान वह बुरका पहन लेता था। बुरका पहनकर ही उसने मुंबई में एक पुलिस वाहन में विस्फोट किया था, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

बड़ा है जलीस का परिवार

वर्ष 1982 में साइन हॉस्पिटल मुंबई से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर जलीस के परिवार में कई सदस्य हैं। पिता मुंबई में रहकर कपड़े की दुकान में काम करते थे। मां मकबूलन गृहणी हैं। उसके पांच भाइयों में अनीस व फिरोज प्लास्टिक का सामान बनाते हैं। भाई लईक बांद्रा में भौतिकी का प्रोफेसर है और रईस बिल्डिंग ठेकेदार है। एक और सिविल इंजीनियर भाई जुल्फिकार प्राइवेट नौकरी करता है। वहीं, चार बेटों में मुरसलीन चाचा रईस के साथ काम करता है और गुलरेज टैक्सी ड्राइवर है। जावेद सिविल इंजीनियर है, जबकि मुसब जनरल स्टोर चलाता है।

जलीस के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की तैयारी

आतंकी डॉ. जलीस उर्फ डॉक्टर बम के खिलाफ अब देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की तैयारी की जा रही हैैं। उसके पास मिली डायरी व प्रपत्रों से साफ है कि वह बड़ी वारदात करने की फिराक में था। राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लेकर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर जलीस खासा नाराज था। वह दिल्ली, मुंबई, कश्मीर आदि राज्यों में दहशत फैलाना चाहता था। जानकारी मिली है कि कानपुर में उसके पास से कुछ विस्फोटक भी बरामद हुआ है। उसकी डायरी से बड़ी घटना की साजिश रचने की बात सामने आई है।

राजधानी ट्रेनों में विस्फोट की घटनाएं

ट्रेन                                                          स्थान

मुंबई-नई दिल्ली                                राजस्थान कोटा के पास

सूरत-मुंबई (फ्लाइंग क्वीन)                       सूरत

हावड़ा-नई दिल्ली व नई दिल्ली-हावड़ा   कानपुर और प्रयागराज के मध्य

हैदराबाद-नई दिल्ली                                हैदराबाद

बंगलौर-कुर्ला                                            बेंगलुरु


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