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Mission Namami Gange: एक लाख घरों का सीवर बनी गंगा, कहां हैं शौचालय

Mission Namami Gange 14 दिसंबर को कानपुर में सरकार के गंगा सम्मेलन और नमामि गंगे की समीक्षा से पहले खुल रही सभी की पोल।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 11:58 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 11:58 AM (IST)
Mission Namami Gange: एक लाख घरों का सीवर बनी गंगा, कहां हैं शौचालय
Mission Namami Gange: एक लाख घरों का सीवर बनी गंगा, कहां हैं शौचालय

राहुल शुक्ल, कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दस केंद्रीय मंत्रियों और गंगा से संबंधित सभी पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित 14 दिसंबर को कानपुर, उप्र में नमामि गंगे परियोजना के कामों की समीक्षा करेंगे। लेकिन संशय यह कि क्या वह वाकई ईमानदार समीक्षा कर सकेंगे। क्योंकि राज्य सरकार उन्हें सच दिखाने की हिम्मत शायद ही जुटा सके। कानपुर में गंदे नालों को मोड़ा जा रहा है, गंगा किनारे की बस्तियों-गांवों में आनन-फानन शौचालय बन रहे हैं और जलस्तर बढ़ाकर गंगा में बहते पाप को छिपाने का प्रयास जारी है।

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समीक्षा बैठक से पहले कानपुर में चल रहे इस खेल से अपने पाठकों को हम बुधवार के अंक में अवगत करा चुके हैं। कानपुर ही नहीं, दैनिक जागरण अपनी इस पड़ताल में उप्र के दो अन्य बड़े केंद्रों प्रयागराज और वाराणसी के अलावा बिहार और बंगाल में भी नमामि गंगे की ‘समीक्षा’ करने में जुट गया है, ताकि देश और प्रधानमंत्री को सच से अवगत कराया जा सके।

पानी से पाप बहाने की कोशिश में नरोरा बांध से बुधवार को 5728 क्यूसिक जल की तुलना में गुरुवार को 8862 क्यूसिक जल छोड़ा गया। तेजी से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा किनारे की गंदगी भी साफ होने लगी है। 14 तक प्रधानमंत्री को गंगा एकदम स्वच्छ दिखेगी। हालांकि यदि वह आचमन करेंगे, जैसा कि कहा जा रहा है, तो गंगाजल में बदबू महसूस कर सकते हैं। फिलहाल कानपुर की बात करते हैं, जहां समीक्षा की तैयारी से पहले ही गंगा सफाई में हुए कामों की पोल एक-एक कर खुल रही है। शहर के एक तिहाई से अधिक हिस्से में सीवर लाइन नहीं है।

गंगा किनारे की बस्तियों समेत शहर के करीब एक लाख, जी हां, एक लाख घरों का सीवर गंगा के सीने पर लोट रहा है। सीवेज सिस्टम न होने से पांच लाख से अधिक आबादी क्षेत्र का सीवर नालों में ही जा रहा है। यह हालात तब हैं, जब वर्ष 1989 से अभी तक गंगा की सफाई के नाम पर 1500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। सीवेज निस्तारण का प्लान भी नहीं बना। शहर का 40 फीसद हिस्सा बिना सीवर लाइन के है।

देखती रही उप्र सरकार

यहां 14 को प्रधानमंत्री स्टीमर (स्वचालित नौका) से गंगा का निरीक्षण करेंगे, इसलिए पहले चरण में गंगा किनारे की बस्तियों में सीवेज सिस्टम का सर्वे हो रहा है, ताकि पर्दा डालने का काम किया जा सके। अभी तक हुए महज 3500 घरों के सर्वे में ही 500 से अधिक घर शौचालय विहीन और 1000 से अधिक सेप्टिक टैंक विहीन मिले हैं। जी हां, बावजूद इसके कि गत दो अक्टूबर को देश ‘शौचालययुक्त’ घोषित हो चुका है। यानी लोग खुले में शौच जा रहे हैं और घरों का सीवर बरसाती नालियों से जोड़कर गंगा में गिराया जा रहा है।

...और अब भी देख रही

जल निगम और नगर निगम एड़ी चोटी का जोर लगाकर समीक्षा से पहले गंगा को अविरल-निर्मल दिखाने की कोशिश में लगे हैं। इसीलिए बस्तियों में शौचालय बनाने, गंगा की तरफ दिख रहे घरों के सीवर पाइप काटने, उनका मुंह बंद करने का अभियान तेजी से चल रहा है। सीसामऊ नाला बंद कर अपनी पीठ थपथपाने वाले जल निगम और नगर निगम बस्तियों से आ रहे इस जहर को नहीं रोक पाए और यह गंगा के लिए नासूर बन गया।

पोल-खोल : पार्ट-2

स्वच्छ भारत मिशन और आवास योजना का सच भी आ रहा सामने, क्या कर रही थी राज्य सरकार

कानपुर का हाल : एक तिहाई शहर में सीवर लाइन नहीं, अनेक घरों मे शौचालय नहीं, गंगा में बहा रहे गंदगी शौचालयमुक्त ‘स्वच्छ भारत’ का सच 3500 घरों के सर्वे में ही 500 शौचालय विहीन मिले हैं, 1000 में सेप्टिक टैंक नहीं, सर्वे जारी है आधा दर्जन से अधिक नाले घरों का सीवर लेकर गंगा में गिर रहे, नहीं हुए टैप समीक्षा की कह रहे कानपुर के लोग

शौचालय गंदे हैं, कहां जाएं... रानी घाट निवासी रानी, सीता और रमेश ने बताया कि सेप्टिक टैंक भर गया है। बदबू के नाते खड़े तक नहीं हो सकते। सामुदायिक शौचालय बंद और गंदे हैं। आप ही बताइये हम क्या करें...।

  • खर्च हुए 1500 करोड़, 40 फीसद कानपुर सीवर विहीन
  • गंगा एक्शन प्लान : 166 करोड़ रुपये
  • जेएनएनयूआरएम : 745 करोड़ रुपये
  • अमृत योजना : 195 करोड़ रुपये
  • नमामि गंगे : 433 करोड़ रुपये

अभी तक हुए 3500 घरों के सर्वे में 500 घर शौचालय विहीन मिले हैं। 50 लोगों ने शौचालय के लिए फार्म भरा है। उनके यहां शौचालय बनवाए जा रहे हैं।

-अक्षय त्रिपाठी, नगर आयुक्त एवं नोडल अफसर, नमामि गंगे, कानपुर


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