Dyslexia Symptoms and Causes: कहीं आपके बच्चे को 'आइंस्टीन' वाली बीमारी तो नहीं
आइआइटी और मनोरोग विशेषज्ञों को अध्ययन में शहर के तीन नामी स्कूलों के 61 छात्रों में लक्षण मिले हैं।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। Dyslexia Symptoms and causes अगर बच्चे की लिखावट गंदी है, अक्षर टेढ़े मेढ़े हैं, पढ़ाई से जी चुरा रहा है, तो यह सावधान होने का समय है। रुकिये, सावधान होने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप उसे कामचोर कहें। बच्चे को महान वैज्ञानिक अल्बर्ट 'आइंस्टीन' की बीमारी यानी डिस्लेक्सिया हो सकती है। यदि आपने समय पर ध्यान दिया तो आपका बच्चा बहुत आगे जाएगा।
तीन नामी स्कूलों में मिले 62 बच्चे
कानपुर शहर के तीन नामी स्कूलों में गंदे और टेढ़े-मेढ़े अक्षर वाली लिखावट व पढ़ाई से जी चुराने वाले 62 छात्रों पर कानपुर आइआइटी के विशेषज्ञों और मनोविज्ञानियों ने अध्ययन किया। आइआइटी कानपुर के मानविकी और सामाजिक विज्ञान के विशेषज्ञों को अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। विशेषज्ञों ने तीनों स्कूलों से ऐसे बच्चों की सूची मांगी थी, जो पढ़ाई में कमजोर हैं। शिकायत, डांट और सजा का उन पर कोई असर नहीं हो रहा है। एक साल तक विभिन्न चरणों में जांच की गई, जिसमें इसमें 61 बच्चे डिस्लेक्सिया से ग्रस्त मिले, एक बच्चे की आंखों में समस्या मिली। इन बच्चों के माता-पिता डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अफसर, व्यवसायी हैं। सभी आर्थिक रूप से संपन्न हैं।
आइक्यू लेवल बहुत अधिक
छात्रों की हिंदी, अंग्रेजी और गणित की कॉपियों की जांच की गई। उनके लिखने के तरीके को देखा गया। विशेषज्ञों ने छात्रों की स्क्रीनिंग की तो कई बच्चों का आइक्यू लेवल सामान्य से काफी अधिक निकला। इन बच्चों में कोई न कोई विशेष गुण है। कोई बेहतर गाता है तो कोई कंप्यूटर का मास्टर। किसी की ड्राइंग शानदार है तो कोई किसी भी विषय पर बोलने में माहिर।
तीन बिंदुओं पर जांच
आइआइटी के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग ने छात्रों की समस्या जानने के लिए डिस्कैल्कुलिया (गणित के सवालों में उलझन), डिस्ग्राफिया (लिखावट में दिक्कत) और डिस्लेक्सिया (अक्षरों को पहचानने में परेशानी) के लक्षण जानने के लिए इन्हीं से संबंधित सवाल तैयार किए गए थे।
डांट मिली, डॉक्टर नहीं
इसमें और भी चौंकाने वाले तथ्य आए। अभिभावकों ने बच्चों को न्यूरोलॉजिस्ट या मनोरोग विशेषज्ञ को नहीं दिखाया। बोलचाल और व्यवहार में सामान्य होने के नाते शिक्षक और अभिभावक लक्षण नजरअंदाज कर गए। बच्चों को कमजोर और नालायक का तमगा दे दिया।
क्या होता है डिस्लेक्सिया
कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरी के मुताबिक डिस्लेक्सिया न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। बच्चों को पढऩे में समस्याएं आती हैं। शब्द, चिह्न और वाक्य उन्हें नाचते हुए से लगते हैं। लिखावट को समझने में कठिनाई होती है। बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव ने बताया कि डिस्लेक्सिया ग्रसित अधिकतर बच्चों की बौद्धिक क्षमता काफी अधिक रहती है। अलबर्ट आइंस्टाइन के बारे में भी यही कहा जाता है। उनको तारीख, फोन नंबर याद नहीं रहते थे। छह साल की आयु तक उन्हें बोलने में कठिनाई होती थी। शब्दों को पहचानने में दिक्कतें आईं थी।
विशेषज्ञों का कहना है ये
- स्कूल प्रबंधन, शिक्षकों, काउंसलर और माता-पिता को इसे देखना चाहिए। अक्षर समझने और लिखने में समस्या डिस्लेक्सिया का लक्षण है।- प्रो. बृजभूषण, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, आइआइटी
- हर दस में से एक बच्चे में यह समस्या हो सकती है। पढ़ाई से जी चुराने वाले बच्चों की स्क्रीनिंग और ध्यान देना बहुत जरूरी है। यह दिमाग में बहुत ही तेज होते हैं।- डॉ. आलोक बाजपेई, मनोरोग विशेषज्ञ
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