World Spinal Day : पीठ दर्द को न करें नजरअंदाज, इन बातों का रखें ध्यान Kanpur News
खानपान में पोषण तत्वों की कमी से रीढ़ की हड्डी में कमजोरी आ रही है।
कानपुर, जेएनएन। पीठ दर्द (बैकपेन) बड़ी समस्या बनता जा रहा है, इससे कार्य क्षमता पर असर पड़ता है। यह समस्या कार्यालय से अवकाश लेने की प्रमुख वजह बन गई है। दर्द की समस्या लेकर डॉक्टर के पास पहुंचने वालों की जांच में सिर्फ स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) का डिस्क प्रोलेप्स ही नहीं बल्कि मांसपेशियों में कमजोरी, विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी पाई गई। विशेषज्ञ कहते हैं कि लंबे समय तक कंप्यूटर एवं लैपटॉप पर गलत तरीके से बैठकर काम करने से समस्या होती है। दर्द नजरअंदाज करने से समस्या गंभीर हो जाती है।
मानसिक तनाव से बढ़ रही समस्या
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष का कहना है कि शारीरिक गतिविधियों में कमी एवं बढ़ते मानसिक तनाव से समस्या बढ़ रही है। इससे रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियां, टिश्यू एवं हड्डियों के बीच की डिस्क में क्षरण (डिजनरेशन) हो रहा है। इससे स्पांडिलाइटिस की समस्या होती है। इसलिए रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए खानपान में पोषक तत्वों को शामिल करें। इससे मांसपेशियां और हड्डियों में मजबूती आएगी। रोज व्यायाम करें। शारीरिक गतिविधियां बहुत जरूरी हैं, जिससे मांसपेशियों में मजबूती आती है, इसलिए रोज 30-45 मिनट पैदल चलें।
बदलें बैठने का तरीका
कुर्सी पर आगे बढ़कर बैठने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, इससे पीठ दर्द की शुरुआत होती है। इसलिए कुर्सी पर पीछे की तरह होकर बैठें, इससे रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट मिलता है।
मोटापे से बचकर रहें
मोटापा भी समस्या है। जब पेट निकलने लगता तो रीढ़ की हड्डी पर दबाव पडऩे लगता है। दबाव बढऩे से मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। रीढ़ की हड्डी भी कमजोर हो जाती है।
खराब सड़कें भी जिम्मेदार
खराब सड़कों पर वाहन से चलते हैं तो झटका लगता है। लगातार चलने से रीढ़ की हड्डी के दो ज्वाइंट के बीच की डिस्क (जैली जैसा पदार्थ जो हड्डियों को टकराने से बचाता है) क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसे डिस्क प्रोलेप्स कहते हैं, इससे भीषण दर्द होता है।
ये है गंभीर स्थित
- जब दर्द असहनीय हो जाए, रोजाना के काम प्रभावित होने लगें।
- गर्दन या पीठ में लगातार दर्द रहे।
- गर्दन से हाथ तक दर्द व करंट जैसा महसूस होना।
- कमर से लेकर पैरों तक भीषण दर्द और चलने में दिक्कत।
- कमर में झनझनाहट, कंपन और पैर कांपना।
इन बातों का ध्यान रखें
- लंब समय तक एक जगह कुर्सी पर बैठकर काम न करें।
- बेड अथवा सोफे पर लेटकर लैपटॉप कतई मत चलाएं।
- यदि ऑफिस में कुर्सी पर लंबे समय तक बैठकर काम करना है तो कुछ समय अंतराल में जरूर उठें और चलकर आएं।
- कुर्सी पर बैठकर काम करते समय कमर सीधी रखें, झुककर या बेंड होकर काम न करें।
- रोजाना सुबह व्यायाम करें और टहलें।
- यदि ज्यादा दोपहिया वाहन चलाते हैं तो वाहन के शॉकर की सर्विस समय समय पर जरूर कराते रहें।