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संस्कृत से भावी पीढ़ी को शिक्षित कर रही महोबा की ये मुस्लिम बेटी Mahoba News

महोबा की पहली मुस्लिम संस्कृत शिक्षक बोलीं भाषा किसी की जागीर नहीं इसे धार्मिक नजरिए से देखना गलत।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 09:31 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 09:31 AM (IST)
संस्कृत से भावी पीढ़ी को शिक्षित कर रही महोबा की ये मुस्लिम बेटी Mahoba News
संस्कृत से भावी पीढ़ी को शिक्षित कर रही महोबा की ये मुस्लिम बेटी Mahoba News

महोबा, [सुबोध मिश्र]। मुस्लिम शख्स....संस्कृत का शिक्षक! कभी इस तरह की बात जरूर चौंकाया करती होंगी, लेकिन इस मामले में कई नाम सामने आने के बाद अब यह नई बात नहीं रही। नई बात है तो सोचने का बदला नजरिया और बदलते समाज की नई कहानी। चलिए, नए भारत की इस नई कहानी की एक और किरदार से आपका परिचय कराते हैं। ये हैं महोबा की मुस्लिम बेटी रूबी खातून। कुलपहाड़ तहसील के रामरतन भुवनेश कुमार पब्लिक स्कूल में संस्कृत शिक्षिका 31 वर्षीय रूबी मूल रूप से मऊरानीपुर की हैं। जिले की पहली मुस्लिम संस्कृत शिक्षक हैं। वह जितना कुरआन की आयतों की जानकार हैं, उतना संस्कृत पर मजबूत पकड़ रखती हैं।

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संस्कृत भाषा को करियर बनाने के पीछे की कहानी रूबी पुरानी यादों में जाकर बताती हैं-बचपन में सुबह चार बजे घर से कुछ दूरी पर ही मंदिर में लाउडस्पीकर से गायत्री मंत्र बजता था, तब वह भी उसे गुनगुनाती, जो अच्छा लगता था। बस यहीं से संस्कृत के प्रति ललक जागी। रामचरित मानस पढऩे के सवाल पर कहती हैं कि पूरी तो नहीं पढ़ी...हां, स्नातक में गीता का अध्ययन जरूर किया। वह बताती हैं कि पति की दुकान है और वह बच्चों को संस्कृत पढ़ाकर सुकून पातीं हैं। किसी ने विरोध नहीं किया। मम्मी-पापा खुश होते हैं कि बेटी संस्कृत पढ़ाती है।

रूबी का मानना है कि उर्दू और संस्कृत में दिए मानवता के संदेश एक ही है जो एकता के सूत्र की प्रेरणा देते हैं।

भाषा को धार्मिक नजर से देखना गलत है। यह किसी की जागीर नहीं है जो मान लिया जाए कि उर्दू मुसलमानों और संस्कृत हिंदुओं की भाषा है। रूबी घर-परिवार की देखरेख करने के बाद भी साढ़े चार साल से अध्यापन कार्य को अंजाम दे रहीं हैं। इसके पूर्व वह मायके में भी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में संस्कृत शिक्षण कर चुकी हैं। उन्होंने 12 वर्ष आयु तक मदरसे में दीनी तालीम हासिल की। यूपी बोर्ड से संस्कृत विषय से हाईस्कूल व इंटर के बाद संस्कृत से स्नातक व बीएड की शिक्षा ली। लखनऊ में यूपी मदरसा बोर्ड से मुंशी और लखनऊ विश्वविद्यालय मौलवी की भी शिक्षा हासिल की। कुलपहाड़ के शहर काजी हाफिज अब्दुल हमीद कहते हैं कि दीन में कही भी ज्ञान लेना गलत नहीं ठहराया गया है। व्यक्ति कोई भी भाषा सीख कर अच्छाइयां ले सकता है।


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