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मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने को उठाया ये कदम, सूबे में खुलेंगे 78 एनडीपीएस कोर्ट Kanpur News

कानपुर समेत छह जिलों में सुनवाई के लिए दो विशेष न्यायालय खोलने की कवायद शुरू की गई है।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 12:37 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 12:37 PM (IST)
मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने को उठाया ये कदम, सूबे में खुलेंगे 78 एनडीपीएस कोर्ट Kanpur News
मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने को उठाया ये कदम, सूबे में खुलेंगे 78 एनडीपीएस कोर्ट Kanpur News

कानपुर, आलोक शर्मा। अब एनडीपीएस के मामले प्रमुखता से सुने जाएंगे और इनका निस्तारण भी जल्द होगा। सरकार ने मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के साथ ही दोषियों को जल्द सजा दिलाने की कवायद तेज कर दी है। शासनादेश जारी होने के बाद प्रदेश में 78 एनडीपीएस कोर्ट खोले जाएंगे। कानपुर समेत छह जिलों में सुनवाई के लिए दो विशेष न्यायालय गठित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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क्यों पड़ी जरूरत

एनडीपीएस के कई मामले, जो दस वर्ष या इससे भी अधिक समय से कोर्ट में लंबित हैं। दरअसल अपर सत्र न्यायालयों में हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती जैसे गंभीर मुकदमों के साथ एनडीपीएस के मामलों की भी सुनवाई होती है। मामलों की अधिकता के चलते एनडीपीएस के मामले भी रूटीन तरीके से सुने जाते हैं। ऐसे में अधिकतर में तारीख ही पड़ती है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

करीब ढाई हजार मामले लंबित

कानपुर के अपर सत्र न्यायालयों में करीब ढाई हजार मामले एनडीपीएस के लंबित हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में इनकी संख्या 50 हजार से ज्यादा हो सकती है। ऐसे में एनडीपीएस मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय जरूरी है। एनडीपीएस के मामलों में वादी पुलिस होती है। मुकदमा दर्ज कराने के बाद पुलिस कर्मी दूसरे जिले में स्थानांतरित हो जाते हैं। सत्र न्यायालयों से वारंट जारी होने के बाद भी समय से गवाही देने नहीं पहुंचते जिससे मामले लंबित होते हैं।

यह है शासन का आदेश

प्रदेश के 70 जिलों में 76 एनडीपीएस कोर्ट स्थापित की जाएंगी। हाईकोर्ट की सहमति के बाद राज्यपाल ने इसकी अनुमति दी तो उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव दिनेश कुमार सिंह ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश की प्रति प्रदेश के सभी जनपद न्यायाधीश और जिलाधिकारियों के साथ अन्य संबंधित विभागों में भेजी गई है।

यहां होंगे दो विशेष न्यायालय

-गाजियाबाद, वाराणसी, कानपुर नगर, इलाहाबाद, आगरा, आजमगढ़, सीतापुर।

इन जिलों में होगा एक विशेष न्यायालय

बरेली, बलिया, चंदौली, गाजीपुर, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, झांसी, बदायूं, जौनपुर, गोरखपुर, लखनऊ, अलीगढ़, मुरादाबाद, सोनभद्र, बहराइच, मिर्जापुर, फिरोजाबाद, रायबरेली, गौतमबुद्ध नगर, बाराबंकी, कुशीनगर (पडरौना), मेरठ, बांदा, मथुरा, देवरिया, रामपुर, उन्नाव, कन्नौज, लखीमपुर खीरी, अमरोहा (जेपी नगर), मऊ, शाहजहांपुर, बस्ती, सुल्तानपुर, मुजफ्फरनगर, कानपुर देहात, भदोही, कौशांबी, हाथरस, अंबेडकर नगर, जालौन, हरदोई, फतेहपुर, ललितपुर, महाराजगंज, कांशीराम नगर (कासगंज), प्रतापगढ़, फैजाबाद, पीलीभीत, महोबा, चित्रकूट, इटावा, मैनपुरी, औरैया, एटा, सहारनपुर, सिद्धार्थ नगर, बागपत, बुलंदशहर, गोंडा, संतकबीर नगर, बिजनौर, बलरामपुर और श्रावस्ती।


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