इस आइआइटी प्रोफेसर को है शिक्षक बनाने की ललक, कर रहे ये काम Kanpur News
शिक्षकों के लिए शुरू की वेबसाइट शिक्षण कार्य में बदलाव की सीख दे रहे हैं।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। स्पेस क्रॉफ्ट के लिए ग्रीन ईंधन की खोज करने वाले आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग साइंस के प्रोफेसर डीपी मिश्रा अब शिक्षक बनने की राह दिखा रहे हैं। उन्होंने सात वर्षों में स्कूल व कॉलेजों के 35 हजार छात्र-छात्राओं से संवाद में पाया कि इनमें दस फीसद ही शिक्षक बनने की ख्वाहिश नहीं रखते हैं। इसके पीछे कहीं न कहीं गुरु-शिष्य परंपरा का ह्रïास होना है। वह शिक्षण कार्य में बदलाव की सीख देने के साथ छात्र-छात्राओं में शिक्षक बनने की ललक पैदा कर रहे हैं।
प्रत्येक छात्र को एक ही तरह से पढ़ाना गलत
प्रो. मिश्रा ने छात्रों के साथ देश भर के शिक्षकों से भी संवाद किया। निष्कर्ष निकला कि ज्यादातर वही लोग शिक्षक बन रहे हैं जिनके लिए यह एक प्रोफेशन है। उन्होंने शिक्षकों के लिए एक वेबसाइट (https://shikshakbano.weebly.com/) बनाई है। उन्होंने अध्ययन में पाया कि प्रत्येक छात्र को एक ही तरह से पढ़ाना गलत है क्योंकि प्रत्येक छात्र की समझने की क्षमता अलग-अलग होती है। कौन किस तरह पढ़कर समझ सकता है यह शिक्षक को सोचना होगा।
बचपन से शिक्षक बनने की चाह होनी चाहिए
शिक्षक बनने के लिए उसी को आगे आना चाहिए जिसके अंदर बचपन से इसकी चाह हो। इसके बाद 15 वर्ष की उम्र में इस हुनर को निखारने की जरूरत होती है। उनकी वेबसाइट का उद्देश्य यह है कि युवाओं को मन में आने वाले विचारों से जानना चाहिए कि क्या वह शिक्षक बनने की चाह रखते हैं।
50 से अधिक संस्थानों के छात्रों से किया संवाद
प्रो. मिश्रा ने अपने अध्ययन के अंतर्गत हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय, जुगल देवी स्कूल कानपुर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अमृता यूनिवर्सिटी कोचीन, डीआइटी यूनिवर्सिटी उत्तराखंड, कांगड़ी यूनिवर्सिटी, पतंजलि विश्वविद्यालय, देव संस्कृति महाविद्यालय, ट्रिपल आइटी प्रयागराज, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी समेत 50 से अधिक विश्वविद्यालयों व संस्थानों के छात्रों के साथ संवाद किया।