किसान पिता ने खेत गिरवी रखकर कराया था दाखिला, जिंदगी के लिए मौत से लड़ रही बेटी Kanpur News
भाई भी कर चुका सीएसए से पढ़ाई बहन के करियर पर ध्यान दे रहा था।
कानपुर, जेएनएन। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के छात्रावास की छत से संदिग्ध परिस्थितियों में गिरी बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा दिव्या कमल का दाखिला किसान पिता बृजेश कुमार ने खेत गिरवी रखकर कराया था। मगर, मंगलवार देर रात हुई घटना ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया, जिस बेटी की सफलता के सपने मां रानी देवी देखा करती हैं, उसे एलएलआर अस्पताल (हैलट) में गंभीर हालत में देखकर वह रो पड़ीं। अस्पताल में दिव्या जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रही है।
परिवार के सपने करूंगी पूरे
दिव्या के भाई सौरभ ने बताया कि सीएसए से बीएससी करने के बाद वह मामा छुन्ना प्रसाद व चाचा विवेक कुमार समेत अन्य परिवारीजन की मदद से बीएचयू से एमएससी कर सके। बहन भी इसी तरह पढ़कर परिवार को आर्थिक मजबूती देना चाहती है। वह रक्षाबंधन में घर आई थी, तब उसने कहा था कि मैं उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी कर परिवारीजन के सपने पूरा करूंगी। यह बताते हुए उसकी आंखें भर आईं।
डीएसडब्ल्यू ने भरा अस्पताल का बिल
सीएसए में सभी विद्यार्थियों का 25 हजार रुपये का बीमा होता है लेकिन यह रकम तभी मिलती है जब मरीज 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती रहा हो। मगर, इस समय सीमा के पहले ही छात्रा को एलएलआर अस्पताल (हैलट) रेफर कर दिया गया था। इस पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता (डीएसडब्ल्यू) डॉ. एचपी सिंह ने छात्रा के परिजनों को 26 हजार रुपये देकर अस्पताल का बिल भरा।
छुट्टी पर थे डीन व वार्डन
सीएसए के गृह विज्ञान महाविद्यालय के सरोजनी नायडू छात्रावास की छत से बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा के गिरने की घटना के दौरान पूरे परिसर में कोई भी वरिष्ठ पदाधिकारी नहीं था। गृह विज्ञान महाविद्यालय के डीन प्रो. वेदरतन व सरोजनी नायडू छात्रावास की वार्डन डॉ. मिथलेश वर्मा छुट्टी पर थीं। उसकी कार्यवाहक वार्डन डॉ. श्वेता यादव भी घटना के दौरान वहां नहीं थीं। जबकि इस परिसर में सरोजनी नायडू के अलावा गोदावरी, झलकारी बाई व श्रमजीवी यह तीन छात्रावास भी हैं। इनमें करीब 250 छात्राएं रहती हैं।
कैसे सुरक्षित रहा छात्रा का मोबाइल
मामा छुन्ना प्रसाद की मांग है कि उनकी भांजी के छात्रावास की छत से गिरने के मामले की जांच की जानी चाहिए। क्योंकि छत से गिरने के बाद भी उनकी भांजी का मोबाइल बिल्कुल ठीक मिला। जबकि उसे भी नुकसान पहुंचना चाहिए था।
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