ऑटोमोबाइल सेक्टर की थमी रफ्तार, शोरूम में कर्मियों की छंटनी शुरू Kanpur News
एक कार शोरूम ने 30 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया दोपहिया और चार पहिया वाहनों की बिक्री में जबरदस्त गिरावट।
कानपुर, जेएनएन। मंदी की आहट से ऑटोमोबाइल सेक्टर कांप गया है। गाडिय़ां शोरूम में खड़ी हैं और खरीदार का पता नहीं। नतीजा कर्मचारियों की छंटनी के रूप में सामने है। शहर के एक कार शोरूम संचालक ने अपने 30 कर्मचारियों की छुïट्टी कर दी है। संचालक की दलील यह कि तमाम ग्राहक सिर्फ कीमत पूछकर लौट रहे हैं। इसमें खर्च निकालना कठिन है। वीसी मोटर्स के चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर आकाश साहनी के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल जुलाई-अगस्त में मङ्क्षहद्रा के वाहनों की बिक्री ही 30-40 फीसद गिर गई है।
हर सेगमेंट पर बुरा असर
मंदी की मार से हर सेगमेंट पर बुरा असर है। हुंडई की फरवरी से जून तक मांग तकरीबन पिछले वर्ष जैसी ही रही। तिरुपति हुंडई के महाप्रबंधक शैलेंद्र तिवारी कहते हैं, पिछले वर्ष जून में 122 कारें बिकी थीं, इस बार 102 बिकीं। पर, अगस्त में पिछले साल (84) के मुकाबले आधी (40) भी कारें नहीं बिकीं। त्योहारी सीजन में हालात सुधर सकते हैैं। बाजार की सबसे बड़ी हिस्सेदार मारुति के शोरूम संचालक कहते हैं, यूं तो सारे सेगमेंट पर मंदी का असर है, लेकिन नेक्सा की बिक्री तेजी से गिरी है।
सोसाइटी मोटर्स के प्रबंधक आरके प्रजापति के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में अगर जुलाई माह की बिक्री की तुलना करें तो 24 फीसद की ग्र्रोथ थी, लेकिन अगस्त में बिक्री गिरी है। बाइक के क्षेत्र में यह गिरावट 10 फीसद से ज्यादा है। कारों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। यशस्वी मोटर्स के विशाल गुप्ता के मुताबिक पिछले वर्ष स्कूटी व बाइक का शोरूम खोला था। शुरू में स्थिति ठीक रही, लेकिन अगस्त में घट गई। त्योहार में बाजार सुधरने की उम्मीद है।
मांग कम, वेटिंग घटी
एक समय कुछ कारें लेने के लिए तीन-तीन महीने पहले बुकिंग करानी पड़ती थी। मनचाहा रंग पाने के लिए वेटिंग और बढ़ जाती थी। अब क्रेटा, सेंट्रो की वेटिंग का समय न के बराबर है।
बिन चार्जिंग-स्टेशन कैसे चलेंगे ई-वाहन
शोरूम संचालक बताते हैैं कि ई-वाहन लांच करने की चर्चा से अधिक भ्रम है। कैसे शहरों और हाईवे पर चार्जिंग स्टेशन बनेंगे, कुछ नहीं पता। अभी मिलने वाले चार्जर से छह से सात घंटे में बैट्री चार्ज हो रही है, जबकि चार्जिंग स्टेशन पर 45 मिनट लगेंगे। यह सब कैसे होगा, इसे लेकर तमाम सवाल अनसुलझे हैैं।
पुरानी कारों की बिक्री भी आधी हुई
कानपुर कार बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष अन्नू अवस्थी बताते हैैं कि पुरानी कारों का सूबे में सबसे बड़ा कारोबार यहीं होता था। रोज 200 कारें बिकती थीं। आज 100 नहीं बिक रहीं। दो साल पहले तक हम ही महीने में 25-30 पुरानी गाड़ी बेच लेते थे, अब एक-दो बिक जाएं तो भी बहुत है। दो साल के अंदर शहर की कार-मंडियां खत्म हो गईं। कारोबार न बचने से एसोसिएशन के 187 सदस्यों में से सिर्फ 50 ही बचे हैैं।