सीपीसी माल गोदाम में भीगी एक लाख सीमेंट की बोरियां Kanpur News
अंग्रेजों के जमाने केटीन शेड जर्जर हो चुके हैं खुले में माल उतारने में समस्या है
By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 01:31 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 10:08 AM (IST)
कानपुर, जेएनएन। आंकड़ों के मुताबिक माल ढुलाई ही रेलवे का असली 'कमाऊ पूत' है। दावा तो यहां तक है कि माल ढुलाई से होने वाली कमाई से ही यात्री ट्रेनों को दौड़ाया जा रहा है। जहां यात्री ट्रेनों का विकास रथ वंदेभारत एक्सप्रेस तक पहुंच गया, वहीं माल ढुलाई का वर्षो पुराना ढांचा कमजोर होने के बाद जर्जर होता जा रहा है। पिछले दिनों हुई झमाझम बारिश के बाद इस साल भी सीपीसी माल गोदाम में 60 हजार से अधिक सीमेंट की बोरियां खराब हो गई, जिससे कारोबारियों में गुस्सा है।
सीपीसी माल गोदाम में हर साल बारिश में हजारों की संख्या में सीमेंट की बोरियां खराब होती हैं। इस साल तो रिकार्ड बन गया। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों हुई बरसात में सभी कंपनियों का लगभग एक लाख बोरी माल भीगने की वजह से खराब हो गया। कारोबारियों के मुताबिक 26 जून को पहली बारिश में सीमेंट की साठ हजार बोरियां भीगने की वजह से खराब हो गई। इसके बाद पिछले दिनों हुई बरसात में 40 से 50 हजार बोरियां भीगकर खराब हो चुकी हैं।
कलक्टरगंज स्थित पीसीपी मालगोदाम में तीन इनवर्ड (ढंके) और एक आउट वर्ड (खुला) शेड पर माल उतारा उतारा जाता है। यहां पर अमूमन 42 व 58 कोच वाली मालगाड़ियां आती हैं। किसी भी प्लेटफार्म का शेड इतना लंबा नहीं है, जहां इतनी लंबी ट्रेन खड़ी हो सके। ऐसे में गाड़ियों को दो भागों में करके माल उतारा जाता है। कई बार खुले में भी माल उतारना मजबूरी है। जो भी टीन शेड हैं, अंग्रेजों के जमाने के हैं और जर्जर हो चुके हैं। खुले में माल उतारने में समस्या यह है कि सभी ट्रैक भारी बारिश में डूब जाते हैं। चार दिनों से बरसात नहीं हुई लेकिन, सीपीसी माल गोदाम में रविवार को भी पानी भरा था। बारिश में पूरा परिसर तालाब नजर आता है।
-यह हर साल की समस्या है। नए स्टेशन डायरेक्टर के सामने भी अपनी समस्याओं को उठाया है मगर, कोई राहत अब तक नहीं मिली है। -निखिलेश दुबे, सीमेंट कारोबारी
-रेलवे को राजस्व के सबसे बड़े हिस्सेदार हम हैं लेकिन, सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता। -दीपेंद्र गुप्ता, सीमेंट कारोबार
-सीपीसी माल गोदाम से जल निकासी को कोई इंतजाम नहीं है। किराया और हर्जाना देने के बावजूद हमारे लिए सुविधाएं जीरो हैं। -विवेक तिवारी, सीमेंट कारोबारी
माल गोदाम में समस्याएं हैं, जिनके निवारण के लिए दो प्लान बनाए हैं। एक शार्ट टर्म है, जिसमें तत्काल राहत मिलेगी। टूटी दीवार बनाना, जलभराव समाप्त करने के लिए नाला सफाई व अन्य छोटे-छोटे काम किए जाने हैं। बरसात के चलते काम शुरू नहीं हो सका। अब कराया जाएगा। दूसरा लॉग टर्म प्लान है, जिसमें आमूलचूल परिवर्तन होगा। साढ़े तीन करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार करके रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। -हिमांशु शेखर उपाध्याय, स्टेशन डायरेक्टर
सीपीसी माल गोदाम में हर साल बारिश में हजारों की संख्या में सीमेंट की बोरियां खराब होती हैं। इस साल तो रिकार्ड बन गया। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों हुई बरसात में सभी कंपनियों का लगभग एक लाख बोरी माल भीगने की वजह से खराब हो गया। कारोबारियों के मुताबिक 26 जून को पहली बारिश में सीमेंट की साठ हजार बोरियां भीगने की वजह से खराब हो गई। इसके बाद पिछले दिनों हुई बरसात में 40 से 50 हजार बोरियां भीगकर खराब हो चुकी हैं।
कलक्टरगंज स्थित पीसीपी मालगोदाम में तीन इनवर्ड (ढंके) और एक आउट वर्ड (खुला) शेड पर माल उतारा उतारा जाता है। यहां पर अमूमन 42 व 58 कोच वाली मालगाड़ियां आती हैं। किसी भी प्लेटफार्म का शेड इतना लंबा नहीं है, जहां इतनी लंबी ट्रेन खड़ी हो सके। ऐसे में गाड़ियों को दो भागों में करके माल उतारा जाता है। कई बार खुले में भी माल उतारना मजबूरी है। जो भी टीन शेड हैं, अंग्रेजों के जमाने के हैं और जर्जर हो चुके हैं। खुले में माल उतारने में समस्या यह है कि सभी ट्रैक भारी बारिश में डूब जाते हैं। चार दिनों से बरसात नहीं हुई लेकिन, सीपीसी माल गोदाम में रविवार को भी पानी भरा था। बारिश में पूरा परिसर तालाब नजर आता है।
-यह हर साल की समस्या है। नए स्टेशन डायरेक्टर के सामने भी अपनी समस्याओं को उठाया है मगर, कोई राहत अब तक नहीं मिली है। -निखिलेश दुबे, सीमेंट कारोबारी
-रेलवे को राजस्व के सबसे बड़े हिस्सेदार हम हैं लेकिन, सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता। -दीपेंद्र गुप्ता, सीमेंट कारोबार
-सीपीसी माल गोदाम से जल निकासी को कोई इंतजाम नहीं है। किराया और हर्जाना देने के बावजूद हमारे लिए सुविधाएं जीरो हैं। -विवेक तिवारी, सीमेंट कारोबारी
माल गोदाम में समस्याएं हैं, जिनके निवारण के लिए दो प्लान बनाए हैं। एक शार्ट टर्म है, जिसमें तत्काल राहत मिलेगी। टूटी दीवार बनाना, जलभराव समाप्त करने के लिए नाला सफाई व अन्य छोटे-छोटे काम किए जाने हैं। बरसात के चलते काम शुरू नहीं हो सका। अब कराया जाएगा। दूसरा लॉग टर्म प्लान है, जिसमें आमूलचूल परिवर्तन होगा। साढ़े तीन करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार करके रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। -हिमांशु शेखर उपाध्याय, स्टेशन डायरेक्टर
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें