सावधान! साइबर ठगों ने बदला पैतरा, फर्जी वेबसाइट से दे रहे धोखा, ऐसे करें पहचान Kanpur News
शहर में व्यापारी और पशु चिकित्साधिकारी साइबर ठग का शिकार बने खाते से उड़ाई रकम।
कानपुर, जेएनएन। आपके फोन पर आने वाली हर कॉल किसी कंपनी की नहीं होती, इनमें से कुछेक साइबर ठगों की भी हो सकती है। इसलिए कोई भी फोन कॉल रिसीव करने से पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है। साइबर ठगों ने लोगों को लूटने के लिए अब बड़ी कंपनियों के नाम का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इन कंपनियों की फर्जी वेबसाइट बनाकर साइबर ठग अपने नंबर अपलोड कर देते हैैं। किसी सहायता या जानकारी के लिए फोन आने पर ये ठग उन्हें विश्वास में लेकर आसानी से लूट लेते हैैं। आइए, शहर में हुई कुछ घटनाओं पर नजर डालते हैं...।
केस-1 : फिल्म की टिकट बुक कराने पर चले गए हजारों रुपये
काकादेव के पांडु नगर निवासी मैरिज ब्यूरो व्यापारी राजेश हंस राजानी के भांजे यश ने 8 जून को फिल्म की टिकट बुक कराने के लिए गूगल पर सर्च किया। जिसके बाद यश ने सिनेमा की वेबसाइट पर जाकर वहां से मिले मोबाइल नंबर पर कॉल की तो उस नंबर से एक लिंक आया। जिसके बाद यश ने उस लिंक में जाकर अपने मामा राजेश के खाते की जानकारी दी। कुछ देर बाद उस नंबर से दोबारा कॉल आया और उसने बताया कि उस खाते से रुपये नहीं आए है। अगर दूसरा खाता हो तो लिंक में जाकर उस नंबर की जानकारी दें। इस पर यश ने अपनी नानी शशि के खाते की जानकारी उन्हें उपलब्ध करा दी। कुछ देर बाद साइबर ठग ने राजेश के खाते से 22,200 और उनकी नानी के खाते से 44,500 रुपये उड़ा दिए।
केस-2 : फर्जी वेबसाइट में फंसकर गंवाई रकम
कल्याणपुर के केशवपुरम निवासी पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार का 15 जून को मोबाइल नंबर का रजिस्ट्रेशन फेल हो गया। सिम को चालू कराने के लिए उन्होंने गूगल पर कंपनी की वेबसाइट सर्च कर की और वहां मिले कस्टमर केयर नंबर पर बात कर अपनी समस्या की जानकारी दी। कस्टमर केयर अधिकारी ने उन्हें एक लिंक मैसेज कर लॉग इन करने के कहा। जैसे ही उन्होंने देवेंद्र ने उस लिंक में लॉग इन कर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और अन्य डिटेल दी। कुछ समय बाद ही उनके खाते से दो बार में 28,999 रुपये पार हो गए।
केस-3 : डीटूएच रीचार्ज कराने के नाम पर 38 हजार उड़ाए
बर्रा दो निवासी शशिभूषण पांडेय ने बताया कि डीटूएच रीचार्ज कराने के लिए उन्होंने इंटरनेट से गोविंद नगर के डीलर को सर्च करके उसके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया था। आइडी खुलवाने के लिए उन्होंने बैंकिंग एप से 10 रूपये ट्रांसफर किए थे। कुछ देर बाद उनके पीएनबी बैंक के खाते से शातिर ने 38 हजार की नकदी उड़ा दिए। थाना प्रभारी बर्रा सतीश कुमार सिंह ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज की गई है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे कर सकते नकली वेबसाइट की पहचान
साइबर ठगी करने के लिए एक जैसे दिखने वाले लोगो, डोमेन नेम और नकली साइट बना लेते हैं। इसे ओपन करने पर यह बिल्कुल असली साइट जैसी नजर आती है। हालांकि असली साइट से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। इन साइट्स पर काफी कम दाम में कीमती सामान दिखाया जाता है। जिससे आकर्षित होकर ग्राहक उस वेबसाइट से सामान खरीद लेते हैं। ग्राहकों से पेमेंट लेने के बाद ये लिंक डिएक्टिवेट हो जाते हैं। यदि आप ई-शॉपिंग या बिल पेमेंट के दौरान सेफ वेबसाइट या पेमेंट चैनल नहीं चुनते हैं, तो ठग आपके बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर आदि जानकारी चुरा सकते हैं।
ये सावधानी बरतें
यदि आप कोई वेबसाइट को सर्च कर रहे हैं, तो सबसे पहले उसका डोमेन नेम जरूर जांच लें। वेबसाइट के यूआरएल में https हो न कि http। इसके साथ ही वेबसाइट की स्पेलिंग भी जरुर देखें। यह डोमेन किसके नाम पर है, आप registry.in/WHOIS पर जाकर चेक कर सकते है। यदि वेबसाइट पर कोई कॉन्टैक्ट डिटेल्स नजर न आए या फिर रिटर्न पालिसी सही नजर न आए, तो ऐसी वेबसाइट को छोड़ देना चाहिए।
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