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धुआं हुआ एनजीटी का आदेश, सांस लेना भी दूभर

दो साल में पर्यावरण सुधार के लिए दिए कई आदेश कागज में नियमों की खुले आम उड़ाई जा रही धज्जियां।

By Edited By: Published: Mon, 20 May 2019 02:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 09:53 AM (IST)
धुआं हुआ एनजीटी का आदेश, सांस लेना भी दूभर
धुआं हुआ एनजीटी का आदेश, सांस लेना भी दूभर
कानपुर, जेएनएन। शहर के बिगड़ते पर्यावरण को लेकर नेशनल ्रग्रीन ट्रिब्यूनल ने दो सालों में कई सख्त आदेश दिए, लेकिन जिम्मेदारों की सुस्ती के चलते आदेश कागजों में ही सिमट कर रह गए। इतना ही नहीं इस दौरान व्यवस्था सुधरने की जगह बदतर होती चलती गई। इसी का नतीजा है कि भाऊसिंह पनकी में कूड़ा निस्तारण प्लांट में गंदगी के पहाड़ और भूगर्भ जल के दूषित होने के चलते एनजीटी द्वारा गठित मॉनीट¨रग कमेटी ने 15 करोड़ रुपये के हर्जाने की सिफारिश की है, लेकिन इसके बाद भी सुधार नजर नहीं आ रहा है।
खुले आम जलाया जा रहा कूड़ा
एनजीटी ने कूड़ा जलाने वालों पर पचास हजार रुपये तक जुर्माना वसूलने के आदेश दिए हैं, लेकिन शहर में धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जा रहा है। खुद नगर निगम के कर्मचारी कूड़ा जला रहे है, ताकि गंदगी उठानी न पड़े। सफाई व्यवस्था पर निगरानी रखने वाली 45 अफसरों की टीम केवल कागज में ही सीमित हो कर रह गई है। -खुले में कूड़ा ले जा रहे वाहन सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश हैं कि खुले में कूड़ा वाहनों में नहीं ले जाया जाए। तिरपाल से ढककर ले जाएं, लेकिन खुले में धड़ल्ले से जा रही है। कई वाहनों में फटा तिरपाल दिखाने के लिए लटका देते है जबकि कूड़ा पीछे आ रहे वाहनों पर गिरता रहता है।
खुले में रखी निर्माण सामग्री व बिना परदे के हो रहा निर्माण
एनजीटी के आदेश है कि निर्माण सामग्री को ढककर रखा जाए और हरा परदा लगाकर निर्माण कराया जाए ताकि धूल न उड़े लेकिन सरकारी विभाग तक एनजीटी के आदेशों का पालन नहीं कर रहे है। एलएलआर अस्पताल में बिना परदा ढके निर्माण हो रहा है। ऐसे शहर में दर्जनों निर्माण चल रहे हैं। शहर के अंदर खुली निर्माण सामग्री की दुकानें सांस लेने के लिए मुसीबत बन गई हैं। दिनभर धूल में उड़ती मौरंग और सीमेंट सिरदर्द बनी।
रोक के बाद घाटों में प्रयोग हो रही पॉलीथिन
घाटों से दो सौ मीटर दूरी तक पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक है लेकिन धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। कागज में खोदाई के मानक खोदाई से जनता को दिक्कत न हो इसके लिए मानक तय है, लेकिन पालन नहीं हो रहा है।
खोदाई से पहले चारों तरफ टिनशेड लगायी जाए। दूर से लाल रंग लिखा सावधान बोर्ड लगाया जाए। खोदाई के बाद निकली मिंट्टी को हटाया जाए और पानी का छिड़काव कराया जाए। नालों को गंगा में जाने से रोकने के आदेश नालों को गंगा में गिरने से रोकने के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक नाले नहीं बंद हो पाए हैं।

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