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कूड़ा निस्तारण की न अफसरों को चिंता, न जनप्रतिनिधियों को फिक्र

एनजीटी की मॉनीटरिग कमेटी की ओर से 15 करोड़ रुपये हर्जाने की सिफारिश के बाद भी सुधार नहीं क्रॉसर - दिखावा साबित हो रही स्वछ शहर-स्वस्थ शहर की परिकल्पना

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 01:52 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 06:27 AM (IST)
कूड़ा निस्तारण की न अफसरों को चिंता, न जनप्रतिनिधियों को फिक्र
कूड़ा निस्तारण की न अफसरों को चिंता, न जनप्रतिनिधियों को फिक्र

जागरण संवाददाता, कानपुर : मैं कानपुर हूं। एक औद्योगिक शहर। यही मेरी पहचान थी, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी, लापरवाही और निष्क्रियता से मेरी पहचान बदल रही है। कुछ माह पहले वायु प्रदूषण के लिए मैं देशभर में बदनाम हुआ। इस बार समस्या का पहाड़ बने कूड़े ने दिल्ली तक मेरी बदनामी की। कल की ही तो बात है एनजीटी की मॉनीटरिग कमेटी ने नगर निगम पर 15 करोड़ रुपये हर्जाने की सिफारिश की, लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दिया।

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ये दर्द उस शहर का है जिसने प्रदेश सरकार को तीन मंत्री, आठ विधायक दिए हैं। जनप्रतिनिधियों ने जनता से वोट तो मांगे लेकिन शहर की सबसे बड़ी समस्या कूड़े की तरफ ध्यान नहीं दिया। महापौर और नगर आयुक्त भी सुधार के लिए सिर्फ कागजी कार्रवाई करने में तल्लीन रहे। इससे स्वच्छ शहर-स्वस्थ शहर की परिकल्पना महज दिखावा बन गई। कूड़े के पहाड़ खड़े हो रहे हैं और निस्तारण की व्यवस्था फेल साबित हो रही है। स्वास्थ्य अफसरों की फौज मौज करने में व्यस्त है। रोज 1350 मीट्रिक टन कूड़ा शहर से निकलता है, लेकिन 11 सौ मीट्रिक टन ही सुबह-शाम उठ पाता है। शेष शहर की सड़कों और गलियों में ढेर के रूप में पड़ा रहता है।

30 फीसद कूड़े का ही निस्तारण

11 सौ मीट्रिक टन कूड़ा भाऊ सिंह पनकी स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट पहुंचता है। यहां सिर्फ 30 फीसद यानी साढ़े तीन सौ मीट्रिक टन ही निस्तारण हो पाता है। बिजली कनेक्शन के लिए नगर निगम ने 11.87 लाख रुपये 31 मार्च 2019 को दिए, लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं हो सका। इसके चलते प्लांट पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा। वर्तमान में यहां पांच लाख टन से ज्यादा कूड़ा एकत्रित है।

वायु व भूगर्भ जल हो रहा प्रदूषित

कूड़ा निस्तारण प्लांट में लगे ढेर से भाऊसिंह पनकी, बदुआपुर, भौंती, सरायमीता, कला का पुरवा समेत आस-पास के गांवों का भूगर्भ जल दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है। प्लांट के आसपास स्थित गांवों में रहने वाले 30 हजार लोगों को बारिश के नाम से ही डर लगता है। यहां से उठने वाली सड़ांध सांस लेना तक मुश्किल कर देती है।

गंदगी दे रही बीमारियों को न्योता

शहर में चौतरफा फैली गंदगी बीमारियों को न्योता दे रही है। लोगों को नाक पर रुमाल रखकर निकलना पड़ रहा है। कूड़े के ढेर से उठने वाली सड़ांध से फेफड़ों में इंफेक्शन और पेट जनित बीमारियां हो रही है। मक्खी-मच्छर भी बीमारी बांट रहे हैं।

दोपहर तक फैला रहता है कूड़ा

विष्णुपुरी, नवाबगंज आजाद नगर, न्यू सिविल लाइंस, शारदा नगर, आर्यनगर, स्वरूप नगर, छपेड़ापुलिया, गीतानगर, रावतपुर, हरबंश मोहाल, श्यामनगर, गोविन्द नगर, किदवईनगर, काकादेव, सर्वोदय नगर, जवाहर नगर, हीरागंज, आचार्यनगर आदि क्षेत्र ऐसे हैं जहां दोपहर तक गंदगी फैली रहती है।

घर-घर से नहीं उठ पा रहा कूड़ा

30 अक्टूबर 2004 से नगर निगम घर-घर से कूड़ा उठाने का अभियान चला रहा है लेकिन आज तक सभी घरों से कूड़ा नहीं उठ पाया। वर्तमान में 80 वार्डो में कूड़ा उठाने का दावा किया जा रहा है। शहर में कुल 110 वार्ड हैं।

अविकसित इलाके बने डंपिंग ग्राउंड

शहर के अविकसित इलाके मिर्जापुर, कल्याणपुर, दामोदर नगर, संघर्ष नगर, गोपाल नगर, शंकराचार्य नगर, यशोदानगर, देवकी नगर, गुजैनी, विनायकपुर समेत कई इलाकों में कूड़ा डंप हो रहा है।

पार्षद ने छीने नोटिस पत्र

पार्षद नवीन पंडित ने गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग देने को लेकर मकान मालिकों को दी जा रही नोटिस अफसरों से छीन ली। पार्षद ने कहा कि पहले गोविंद नगर क्षेत्र में फैली गंदगी को उठाया जाए।

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जनता का दर्द

पिछले कई सालों से सुन रहे है कि कूड़े से बिजली बनाई जाएगी, लेकिन हालत यह है कि गंदगी समय से नहीं उठ पा रही है।

रवि राजपूत

कूड़े के पहाड़ों को हटाया जाए। सांस लेना दूभर हो गया है। बारिश में स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। पुनीत शुक्ल

शहर के विकास के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये टैक्स वसूला जाता है लेकिन जनता को सुविधा नहीं मिल रही।

अनिल तिवारी

लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई हो। सिर्फ जनता ही दोषी नहीं है। गंदगी उठाने के साथ ही उसका निस्तारण भी हो।

सीपू सिंह

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कागजों में स्मार्ट व्यवस्था

- कूड़े पर नजर रखने के लिए 45 अफसरों की टीम बनी थी, जो सिर्फ कागजों में है।

- एक बजे से पहले बड़े कूड़ाघरों से गंदगी हटने के आदेश, लेकिन ऐसा होता नहीं है।

- दो कर्मचारी हर कूड़ाघर में लगाने थे जो गंदगी अंदर करेंगे लेकिन कहीं नहीं लगे है।

- रात में भी बाजारों की सफाई करने की योजना कुछ दिन बाद दम तोड़ गई।

- दुकानों में डस्टबिन रखना अनिवार्य किया, लेकिन ऐसा हो न सका।

- कूड़ा जलाने पर रोक, ढक कर ले जाना है लेकिन व्यवस्था कारगर नहीं।

- कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन बन गए लेकिन कूड़ाघर नहीं हटे। एनजीटी की तरफ से कोई पत्र नहीं आया है। शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर रखने के लिए नगर निगम प्रयास कर रहा है। जो कमियां हैं उन्हें जल्द दूर किया जाएगा।

- संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त


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