कूड़ा निस्तारण में फेल नगर निगम पर एनजीटी ने लगाया 15 करोड़ का हर्जाना
मानीटरिंग कमेटी ने 11 जनवरी को किया था कूड़ा निस्तारण प्लांट का निरीक्षण यूपीपीसीबी और कूड़ा निस्तारण कंपनी पर भी हर्जाने की सिफारिश।
By AbhishekEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 11:09 AM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 11:20 AM (IST)
कानपुर, जेएनएन। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मानीटरिंग कमेटी ने कूड़ा निस्तारण में फेल नगर निगम पर 15 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कूड़ा निस्तारण प्लांट का संचालन कर रही आइएलएंडएफएस कंपनी पर भी दो-दो करोड़ रुपये का हर्जाना लगाने की संस्तुति की है।
एनजीटी की मानीटरिंग कमेटी के अध्यक्ष हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज डीपी सिंह, सचिव पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों के साथ 11 जनवरी को भाऊ सिंह भौंती स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट का निरीक्षण किया था। कमेटी ने यहां कूड़े के पहाड़ देखकर हैरानी जताई थी। साथ ही बगल में पांडु नदी होने के चलते कूड़ाघर हटाने के आदेश दिए थे। टीम ने अपनी आख्या रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया। इसमें कहा गया कि प्लांट के पास ही पांडु नदी बहती है। बारिश में कूड़े की गंदगी भूमिगत जल को दूषित कर रही है। नदी भी प्रदूषित हो रही है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कूड़ा निस्तारण प्लांट का संचालन पहले एटूजेड कंपनी कर रही थी। वर्ष 2012 में इसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। अब ये जिम्मेदारी आइएलएंडएफएस कंपनी संभाल रही है। प्लांट में एक दिन में तीन सौ से साढ़े तीन सौ मीट्रिक टन ही कूड़े का निस्तारण हो रहा है, जबकि शहर भर से 11 सौ मीट्रिक टून कूड़ा प्लांट पहुंचता है। ऐसे में 750-800 मीट्रिक टन कूड़ा एकत्रित होने के कारण पहाड़ बनते जा रहे हैं। इस आख्या के साथ कमेटी के अध्यक्ष डीपी सिंह ने कानपुर नगर निगम पर हर्जाने के साथ प्रबंधतंत्र के खिलाफ कार्रवाई और दंडित करने की सिफारिश भी की है। कूड़ा जलाने पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
नजर रखने के लिए कमेटी गठित
नगर निगम के कामों की देखरेख के लिए शहरी विकास सचिव, पर्यावरण सचिव और स्वास्थ्य सचिव की टीम गठित की गई है। यह शहर की सफाई व्यवस्था, कूड़ा निस्तारण और इसके प्रबंधन को देखेंगे।
ये निर्देश भी दिए
- बायो रेमीडिएशन तकनीक से एक साल में कूड़े के पहाड़ों का निस्तारण किया जाए।
- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत तीन माह में हर घर से गीला और सूखा कूड़ा उठाया जाए।
- शहर में जगह-जगह कूड़ेदान रखे जाएं और कूड़े का ढेर ढका जाए, ताकि वायु प्रदूषण न हो।
- जल निगम को आदेश दिए गए हैं कि तीन माह में पेयजल के लिए टंकी बनाई जाए। इससे सैनिक ढाबा, पनकी पड़ाव, बाईपास के पासथा कला का पुरवा में सप्लाई हो।
शहर में कूड़े की स्थिति
-1350 मीट्रिक टन कूड़ा रोज निकलता है शहर से
- 1100 मीट्रिक टन कूड़ा ही पहुंचता है निस्तारण प्लांट तक
- 350 मीट्रिक टन प्लांट में हो रहा कूड़ा निस्तारण प्रतिदिन
- 750 मीट्रिक टन कूड़ा प्लांट में होता है प्रतिदिन एकत्रित
- वर्तमान में पांच लाख मीट्रिक टन कूड़े से ज्यादा इकट्ठा
- 70 वार्डों में घर-घर से कूड़ा उठ रहा है, मगर पूरा नहीं। 110 वार्ड शहर में हैं।
क्या बोले नगर आयुक्त
मेरे पास अभी तक कोई आदेश नहीं आया है। जो भी न्यायालय का आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा।
-संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त
एनजीटी की मानीटरिंग कमेटी के अध्यक्ष हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज डीपी सिंह, सचिव पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों के साथ 11 जनवरी को भाऊ सिंह भौंती स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट का निरीक्षण किया था। कमेटी ने यहां कूड़े के पहाड़ देखकर हैरानी जताई थी। साथ ही बगल में पांडु नदी होने के चलते कूड़ाघर हटाने के आदेश दिए थे। टीम ने अपनी आख्या रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया। इसमें कहा गया कि प्लांट के पास ही पांडु नदी बहती है। बारिश में कूड़े की गंदगी भूमिगत जल को दूषित कर रही है। नदी भी प्रदूषित हो रही है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कूड़ा निस्तारण प्लांट का संचालन पहले एटूजेड कंपनी कर रही थी। वर्ष 2012 में इसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। अब ये जिम्मेदारी आइएलएंडएफएस कंपनी संभाल रही है। प्लांट में एक दिन में तीन सौ से साढ़े तीन सौ मीट्रिक टन ही कूड़े का निस्तारण हो रहा है, जबकि शहर भर से 11 सौ मीट्रिक टून कूड़ा प्लांट पहुंचता है। ऐसे में 750-800 मीट्रिक टन कूड़ा एकत्रित होने के कारण पहाड़ बनते जा रहे हैं। इस आख्या के साथ कमेटी के अध्यक्ष डीपी सिंह ने कानपुर नगर निगम पर हर्जाने के साथ प्रबंधतंत्र के खिलाफ कार्रवाई और दंडित करने की सिफारिश भी की है। कूड़ा जलाने पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
नजर रखने के लिए कमेटी गठित
नगर निगम के कामों की देखरेख के लिए शहरी विकास सचिव, पर्यावरण सचिव और स्वास्थ्य सचिव की टीम गठित की गई है। यह शहर की सफाई व्यवस्था, कूड़ा निस्तारण और इसके प्रबंधन को देखेंगे।
ये निर्देश भी दिए
- बायो रेमीडिएशन तकनीक से एक साल में कूड़े के पहाड़ों का निस्तारण किया जाए।
- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत तीन माह में हर घर से गीला और सूखा कूड़ा उठाया जाए।
- शहर में जगह-जगह कूड़ेदान रखे जाएं और कूड़े का ढेर ढका जाए, ताकि वायु प्रदूषण न हो।
- जल निगम को आदेश दिए गए हैं कि तीन माह में पेयजल के लिए टंकी बनाई जाए। इससे सैनिक ढाबा, पनकी पड़ाव, बाईपास के पासथा कला का पुरवा में सप्लाई हो।
शहर में कूड़े की स्थिति
-1350 मीट्रिक टन कूड़ा रोज निकलता है शहर से
- 1100 मीट्रिक टन कूड़ा ही पहुंचता है निस्तारण प्लांट तक
- 350 मीट्रिक टन प्लांट में हो रहा कूड़ा निस्तारण प्रतिदिन
- 750 मीट्रिक टन कूड़ा प्लांट में होता है प्रतिदिन एकत्रित
- वर्तमान में पांच लाख मीट्रिक टन कूड़े से ज्यादा इकट्ठा
- 70 वार्डों में घर-घर से कूड़ा उठ रहा है, मगर पूरा नहीं। 110 वार्ड शहर में हैं।
क्या बोले नगर आयुक्त
मेरे पास अभी तक कोई आदेश नहीं आया है। जो भी न्यायालय का आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा।
-संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त
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