दावा झूठा.. प्राथमिक स्कूलों में नहीं पहुंची किताबें
एडी बेसिक को भेजी रिपोर्ट में किताबों का शत प्रतिशत वितरण दिखा दिया गया।
कानपुर, (समीर दीक्षित ) : बेसिक शिक्षा विभाग के झूठे दावे की पोल खोलने के लिए ये तीन उदाहरण ही काफी हैं। बेशक बीएसए दफ्तर से एडी बेसिक को भेजी रिपोर्ट में किताबों का शत प्रतिशत वितरण दिखा दिया गया हो, लेकिन हकीकत में सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां अभी तक किताबें नहीं पहुंची। नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही स्कूलों में किताबें पहुंच जानी चाहिए थी, लेकिन जिले में तैनात अफसर ऐसा नहीं कर पाए। ऐसे में अपनी नाकामी छिपाने के लिए अफसरों ने प्राइमरी स्कूलों में शत प्रतिशत किताबों के वितरण की रिपोर्ट अपर निदेशक कार्यालय को भेज दी। दैनिक जागरण ने जब इस दावे की पड़ताल की नजारा बिल्कुल उलट नजर आया। जागरण टीम ने पांच स्कूल चुने।
उदाहरण एक: प्राथमिक विद्यालय परमट, समय 10.20 बजे। यहां बच्चे पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करते मिले। पूछने पर पता चला कि अभी तक किताबें बांटी ही नहीं गई। कक्षा-तीन के छात्र आरुष और पांचवीं की छात्रा शिवानी ने बताया कि हर साल ही किताबें देर से मिलती हैं।
उदाहरण दो: प्राथमिक विद्यालय कुरसौली, विकासखंड कल्याणपुर, समय 10.43 बजे। कक्षा-दो की छात्रा साक्षी, खुशनुमा व चौथी कक्षा के छात्र अनुराग व छात्रा नंदिनी ने बताया कि स्कूल में अभी तक नई किताबें नहीं दी गईं। प्रधानाध्यापक मधु पाल ने भी स्वीकार किया कि किताबों का वितरण अभी नहीं हो सका है।
उदाहरण तीन: प्राथमिक विद्यालय मोहनपुर, विकासखंड चौबेपुर, समय 10. 53 बजे। यहां पांच पुस्तकों में से सिर्फ एक ही पुस्तक कलरव का वितरण हो पाया है। ऐसे में बच्चों के हाथ में नई किताब के नाम पर बस यही दिखती है। सहायक अध्यापिका नीलम त्रिपाठी ने बताया कि कलरव के अलावा बाकी किताबें पुरानी हैं।
टीम जब इनमें पहुंची तो सिर्फ प्राथमिक विद्यालय पांडुनगर और प्राथमिक विद्यालय हरबंशपुर में ही बच्चों के हाथ में नई पुस्तकें दिखीं। बाकी तीन स्कूलों में अभी भी पुरानी किताबों से ही पढ़ाई चल रही है। इस हेडिंग को पूरा लगाएं.. बीएसए की दलील, स्कूल में एक भी किताब पहुंची तो मानिए सभी पहुंच गई इन स्कूलों में तैनात प्रधानाचार्य और शिक्षक भी किताबें वितरित न होने की बात स्वीकारते हैं, लेकिन बीएसए इसे स्वीकार करने से कतरा रहे हैं। वह दलील दे रहे हैं कि अगर एक भी पुस्तक किसी स्कूल में पहुंच चुकी है तो उस स्कूल को वितरण हो चुकी सूची में ही माना जाएगा। बीएसए की यह तकनीकी दलील कागज का पेट भले ही भर रही हो, लेकिन उन नौनिहालों के भविष्य के लिए कौन जवाबदेह होगा, जिनके हाथ में आज भी पुरानी किताबें हैं।
एक नजर आंकड़ों पर
1598 प्राथमिक स्कूल हैं
जनपद में 95083 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं
इन विद्यालयों में इन किताबों का होना है वितरण
कलरव, हमारा परिवेश, गिनतारा, संस्कृत, रेनबो।
इन सवालों पर चुप्पी
- अगर सीआरसी और एनपीआरसी से किताबों के वितरण की रिपोर्ट आ गई और किताबें नहीं बंटी तो फिर उच्चाधिकारियों ने क्रास चेकिंग क्यों नहीं की
- अध्यापकों से पुष्टि क्यों नहीं कराई गई
- विद्यालयों का निरीक्षण क्यों नहीं किया गया
एनपीआरसी व सीआरसी में किताबें रखी होंगी। इस वजह से अभी तक नहीं बंट पाई। कार्यालय से सभी किताबें विकास खंड कार्यालयों में भेजी जा चुकी हैं। बंटी क्यों नहीं हुई, इसकी जानकारी करेंगे। रिपोर्ट में 100 फीसद वितरण इसलिए बताया गया, क्योंकि स्कूल में एक किताब भी दे दी गई है तो उसे पूरा वितरण मान लिया जाता है। -प्रवीणमणि त्रिपाठी, बीएसए
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