CISCE Results 2019 : 99.75% अंक पाकर डीएसपी की बेटी नंदिता बनीं टॉपर, बनना चाहती हैं न्यूरोलॉजिस्ट
कानपुर के डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर की छात्रा हैं नंदिता प्रकाश श्रीवास्तव।
By AbhishekEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 04:11 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 04:11 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) 12वीं का परिणाम मंगलवार की दोपहर घोषित होते ही छात्र-छात्राएं खुशी से उछल पड़े। देश की टॉपर सूची में दूसरा स्थान हासिल करने वाली नंदिता प्रकाश ने शहर ही नहीं बल्कि सूबे का नाम रोशन किया है। नंदिता की कामयाबी पर डीएसपी पिता और परिजन बेहद खुश हैं। शहर में किदवई नगर स्थित डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर में पढऩे वाली नंदिता प्रकाश ने आईएससी 12वीं में 400 में 399 यानी 99.75% अंक पाकर टॉपर सूची में जगह बनाई है। नंदिता के पिता अजय प्रकाश श्रीवास्तव डीएसपी हैं और लखनऊ डीजीपी कार्यालय में संबद्ध हैं।
न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं नंदिता
देश के होनहारों में शामिल नंदिता न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं। वह कहती हैं कि मेरी मां मीरा श्रीवास्तव मधुमेह और हृदय रोग से पीडि़त हैं। प्रदेश व शहर में अच्छे डॉक्टर न होने की वजह से उन्होंने चिकित्सकीय पेशे में जाने का निर्णय लिया है। मानव शरीर के लिए काम करने को लेकर वह समर्पित हैं। वह कहतीं हैं कि मेडिकल साइंस के क्षेत्र में वह भारत के लिए कुछ करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने बायो टीचर अजय भट्टाचार्य की बेहद शुक्रगुजार हूंं। उनके द्वारा दी गई प्रेरणा से आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं। उन्होंने एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह आगे बढ़ाया और कठिन मेहनत के बल पर सफलता दिलाई। मेरे करियर को बढ़ाने में उनका बेहद योगदान है।
नंदिता ने बताया कि उन्होंने नीट का एक्जाम दिया और लखनऊ के केजेएमयू या फिर एम्स में सेलेक्शन की इच्छा रखती हूं। पिता की तरह पुलिस विभाग में न जाकर मेडिकल लाइन में जाने के प्रश्न पर वह कहती हैं कि पुलिस ऑफीसर होना गर्व की बात है। लेकिन पापा का रुटीन देखने के बाद लगता है कि इस पेशे में आकर फैमिली बिछड़ जाती है। फिर भी मेरे पापा बहुत टाइम देते हैं। आजकल आप देख ही रहे हैं प्रदेश में पुलिस अफीसर्स की हालत कैसी है।
न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं नंदिता
देश के होनहारों में शामिल नंदिता न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं। वह कहती हैं कि मेरी मां मीरा श्रीवास्तव मधुमेह और हृदय रोग से पीडि़त हैं। प्रदेश व शहर में अच्छे डॉक्टर न होने की वजह से उन्होंने चिकित्सकीय पेशे में जाने का निर्णय लिया है। मानव शरीर के लिए काम करने को लेकर वह समर्पित हैं। वह कहतीं हैं कि मेडिकल साइंस के क्षेत्र में वह भारत के लिए कुछ करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने बायो टीचर अजय भट्टाचार्य की बेहद शुक्रगुजार हूंं। उनके द्वारा दी गई प्रेरणा से आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं। उन्होंने एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह आगे बढ़ाया और कठिन मेहनत के बल पर सफलता दिलाई। मेरे करियर को बढ़ाने में उनका बेहद योगदान है।
नंदिता ने बताया कि उन्होंने नीट का एक्जाम दिया और लखनऊ के केजेएमयू या फिर एम्स में सेलेक्शन की इच्छा रखती हूं। पिता की तरह पुलिस विभाग में न जाकर मेडिकल लाइन में जाने के प्रश्न पर वह कहती हैं कि पुलिस ऑफीसर होना गर्व की बात है। लेकिन पापा का रुटीन देखने के बाद लगता है कि इस पेशे में आकर फैमिली बिछड़ जाती है। फिर भी मेरे पापा बहुत टाइम देते हैं। आजकल आप देख ही रहे हैं प्रदेश में पुलिस अफीसर्स की हालत कैसी है।
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