डरने वालों के लिए अच्छी खबर, पता भी नहीं चलेगा कब लग गया इंजेक्शन
आइआइटी के प्रोफेसर अनिमंगसु घटक व उनकी टीम ने बनाई ऐसी सुई जिसके लगाने पर होगा मच्छर के काटने की तरह होगा एहसास।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 11:48 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 04:49 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। क्या कभी आपने सोचा है कि सुई की चुभन दर्दनाक क्यों होती है, जबकि मच्छर आपकी त्वचा में छेदकर जब खून निकालता है तब दर्द नहीं होता केवल खुजली व हल्का एहसास होता है। मच्छर के डंक व उसके काटने के तरीकों का अध्ययन करके आइआइटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अनिमंगसु घटक व उनकी टीम ने एक ऐसी सुई बनाई है जिससे तेज दर्द नहीं होगा।
उनकी टीम ने कई प्रयोग करने के साथ यह भौतिकी समझने की कोशिश की कि कैसे मच्छर बिना दर्द के त्वचा को छिद्रित करता है। उन्होंने पाया कि सुई की धुरी के साथ कम आवृत्ति उसके कंपन व प्रतिरोध को काफी कम कर देता है जिससे दर्द कम हो जाता है। मच्छर के डंक से विभिन्न आकृतियों व आकारों का अध्ययन करके उन्होंने यह सुई विकसित की है। प्रोफेसर घटक ने पाया कि सुई चुभन के साथ हम जो दर्द अनुभव करते हैं वह त्वचा के प्रतिरोध को दूर करने के लिए आवश्यक बल पर निर्भर करता है। यह प्रतिरोध जितना अधिक होता है उतना ही दर्द होता है।
उन्होंने इस प्रतिरोध को कम करने के लिए मच्छर के डंक की तरह चुभने वाली सुइयों के विशिष्ट आकार विकसित कर लिए हैं। इन सुइयों के लगने पर दर्द न हो अथवा केवल हल्की चुभन का एहसास हो इसके लिए मरीज की त्वचा पर पहले पॉलीएक्रिलामाइड जेल लगाया जाएगा। कुछ ही समय में यह जेल त्वचा के अंदर चला जाएगा और सुई लगने पर यह एक निश्चित दूरी पर उसे प्रवेश के लिए रास्ता देगा। यह प्रवेश की दिशा के साथ एक दरार विकसित करता है जिससे सुई बिना चुभन के त्वचा में प्रवेश कर सकती है।
क्लीनिकल ट्रायल के बाद जल्द पहुंचेगी मरीजों तक
परीक्षण के अगले कदम में प्रोफेसर घटक व उनकी टीम सुई के डिजाइन को आम मरीजों की पहुंच में बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने अपनी बनाई गई इस सुई को सत्यापित कराने की योजना बनाई है। जल्द ही यह क्लीनिकल ट्रायल से गुजरेगी। आइआइटी के प्रयोगशालाओं में सफल परीक्षण के बाद अब इसे मरीजों तक पहुंचाने की तैयारी है।
उनकी टीम ने कई प्रयोग करने के साथ यह भौतिकी समझने की कोशिश की कि कैसे मच्छर बिना दर्द के त्वचा को छिद्रित करता है। उन्होंने पाया कि सुई की धुरी के साथ कम आवृत्ति उसके कंपन व प्रतिरोध को काफी कम कर देता है जिससे दर्द कम हो जाता है। मच्छर के डंक से विभिन्न आकृतियों व आकारों का अध्ययन करके उन्होंने यह सुई विकसित की है। प्रोफेसर घटक ने पाया कि सुई चुभन के साथ हम जो दर्द अनुभव करते हैं वह त्वचा के प्रतिरोध को दूर करने के लिए आवश्यक बल पर निर्भर करता है। यह प्रतिरोध जितना अधिक होता है उतना ही दर्द होता है।
उन्होंने इस प्रतिरोध को कम करने के लिए मच्छर के डंक की तरह चुभने वाली सुइयों के विशिष्ट आकार विकसित कर लिए हैं। इन सुइयों के लगने पर दर्द न हो अथवा केवल हल्की चुभन का एहसास हो इसके लिए मरीज की त्वचा पर पहले पॉलीएक्रिलामाइड जेल लगाया जाएगा। कुछ ही समय में यह जेल त्वचा के अंदर चला जाएगा और सुई लगने पर यह एक निश्चित दूरी पर उसे प्रवेश के लिए रास्ता देगा। यह प्रवेश की दिशा के साथ एक दरार विकसित करता है जिससे सुई बिना चुभन के त्वचा में प्रवेश कर सकती है।
क्लीनिकल ट्रायल के बाद जल्द पहुंचेगी मरीजों तक
परीक्षण के अगले कदम में प्रोफेसर घटक व उनकी टीम सुई के डिजाइन को आम मरीजों की पहुंच में बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने अपनी बनाई गई इस सुई को सत्यापित कराने की योजना बनाई है। जल्द ही यह क्लीनिकल ट्रायल से गुजरेगी। आइआइटी के प्रयोगशालाओं में सफल परीक्षण के बाद अब इसे मरीजों तक पहुंचाने की तैयारी है।
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