यूपीकॉप की मदद से 12 साल बाद अपनों से मिलेगा खोया बेटा
जसवंत (45) को न पुलिस तलाश सकी थी और न परिवारीजन। अचानक शुक्रवार सुबह जसवंत के सितारों ने ऐसी करवट ली कि 12 साल से लापता बेटे को मिलने की 70 वर्षीय पेंचकली की हसरत जल्द ही पूरी हो जाएगी। यह यूपीकॉप अप्लीकेशन और तेलंगाना स्थित मानसिक आरोग्यशाला के डॉक्टरों की सूझबूझ से हुआ।
जागरण संवाददाता, कानपुर : बारह साल पहले कानपुर देहात से लापता हुए जसवंत (45) को न पुलिस तलाश सकी थी और न परिवारीजन। अचानक शुक्रवार सुबह जसवंत के सितारों ने ऐसी करवट ली कि 12 साल से लापता बेटे को मिलने की 70 वर्षीय पेंचकली की हसरत जल्द ही पूरी हो जाएगी। यह यूपीकॉप अप्लीकेशन और तेलंगाना स्थित मानसिक आरोग्यशाला के डॉक्टरों की सूझबूझ से हुआ।
एडीजी तकनीकी सेवाएं आशुतोष पांडेय ने बताया यूपीकॉप के माध्यम से शुक्रवार को तेलंगाना के एरागाडा मानसिक आरोग्यशाला के डॉक्टर ने वहां भर्ती एक मरीज के बारे में सूचना दर्ज कराई। जानकारी जुटाने पर पता चला वहां पर करीब 12 साल से एक युवक भर्ती है। जो खुद को निगोहिया गांव का बताते हुए बार-बार एक प्रधान जी का जिक्र करता है। निर्वाचन आयोग की गांवों के नामों वाली सूची से जानकारी जुटाने पर सामने आया कि इस नाम का गांव कानपुर देहात व बरेली में है। दोनों जगह के प्रधान से संपर्क करने पर जानकारी हुई कि वहां भर्ती युवक कानपुर देहात रूरा निवासी छेदा लाल का बेटा जसवन्त है। जो 12 साल पहले मानसिक स्थित ठीक न होने के चलते घर से बिना बताए निकल गया था, तब से परिजन उसकी तलाश कर रहे थे। वह भटकते हुए तेलंगाना जा पहुंचे थे और इन दिनों वहां के एरागाडा मेंटल अस्पताल में भर्ती हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि जसवंत वहां कब और कैसे पहुंचे और घर से लापता होने के बाद इतने वर्षों तक कहां-कहां भटकते रहे। गांव के प्रधान सर्वेंद्र सिंह ने बताया कि जसवंत की मां पेंचकली बेटे के सुरक्षित होने पर खुद के आंसू नहीं रोक पाईं। वहीं बड़े भाई रामचंद्र, कैलाश, लाखन, किशन व पप्पू उससे मिलने को बेकरार है, लेकिन माली हालत ठीक न होने के कारण वहां तक जाने में असमर्थ है। हालांकि गांव के लोगों की मदद से जल्द ही जसवंत को घर लाया जाएगा।