ठंड के मौसम में सीएसजेएमयू में माहौल गर्म, अब बीएड विभागाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
प्रोफेसरों में गहमा गहमी का माहौल, विवि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर लगाया सवालिया निशान।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 06:12 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 11:29 AM (IST)
कानपुर, जेएनएन। छत्रपति शाहू जी महाराज (सीएसजेएम) विश्वविद्यालय में ठंड के मौसम में माहौल गर्म होता जा रहा है। यूआइईटी के निदेश के इस्तीफे के बाद अब बीएड के विभागाध्यक्ष के त्याग पत्र दिए जाने से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कुछ प्रोफेसरों ने विवि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाये हैं, हालांकि बीएड विभागाध्यक्ष ने व्यक्ति कारण से इस्तीफे की बात कही है। बहराल कारण कुछ भी हो लेकिन इस्तीफे के बाद से विवि के प्रोफेसरों में गहमा गहमी का माहौल बन गया है।
बीते कुछ दिनों पूर्व यूआइईटी की निदेशक डॉ. अर्पिता यादव ने इस्तीफा दिया था। मंगलवार को बीएड विभागाध्यक्ष डॉ. मुनेश कुमार ने पद से त्यागपत्र सौंप दिया। उन्होंने इसके पीछे कारण व्यक्तिगत बताएं हैं लेकिन असल वजह कुछ और ही है। कई प्रोफेसरों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विवि की कार्यप्रणाली ठीक नहीं है। कुलपति और कुलसचिव खुद नियम बना रहे हैं। कहा, कि बीएड विभाग में विभागाध्यक्ष के होते हुए डॉ. रश्मि गोरे को समन्वयक नियुक्त किया गया। प्रो. मुकेश रंगा को आइबीएम का निदेशक तो बना दिया पर उनके पत्र में अग्रिम आदेशों तक की बात लिखी गई, जबकि एक निदेशक का कार्यकाल तय होता है।
प्रोफेसरों ने बताया कि प्रशासनिक अफसरों का दखल क्लास रूम तक पहुंच गया है, जिससे विश्वविद्यालय का शैक्षिक माहौल खराब हो रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, कहीं किसी मानक का पालन नहीं हो रहा है। विवि प्रोफेसरों की मानें तो बेहतर कुलपति और कुलसचिव के आपसी समन्वय न होने के चलते निर्णयों से विश्वविद्यालय का नुकसान हो रहा है।
बीते कुछ दिनों पूर्व यूआइईटी की निदेशक डॉ. अर्पिता यादव ने इस्तीफा दिया था। मंगलवार को बीएड विभागाध्यक्ष डॉ. मुनेश कुमार ने पद से त्यागपत्र सौंप दिया। उन्होंने इसके पीछे कारण व्यक्तिगत बताएं हैं लेकिन असल वजह कुछ और ही है। कई प्रोफेसरों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विवि की कार्यप्रणाली ठीक नहीं है। कुलपति और कुलसचिव खुद नियम बना रहे हैं। कहा, कि बीएड विभाग में विभागाध्यक्ष के होते हुए डॉ. रश्मि गोरे को समन्वयक नियुक्त किया गया। प्रो. मुकेश रंगा को आइबीएम का निदेशक तो बना दिया पर उनके पत्र में अग्रिम आदेशों तक की बात लिखी गई, जबकि एक निदेशक का कार्यकाल तय होता है।
प्रोफेसरों ने बताया कि प्रशासनिक अफसरों का दखल क्लास रूम तक पहुंच गया है, जिससे विश्वविद्यालय का शैक्षिक माहौल खराब हो रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, कहीं किसी मानक का पालन नहीं हो रहा है। विवि प्रोफेसरों की मानें तो बेहतर कुलपति और कुलसचिव के आपसी समन्वय न होने के चलते निर्णयों से विश्वविद्यालय का नुकसान हो रहा है।
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