पॉलीथिन कारोबारी सरकार के साथ, उचित विकल्प की दरकार
पॉलीथिन प्रतिबंध पर कारोबारी सरकार के साथ हैं लेकिन सरकार भी उन्हें उचित विकल्प दे ताकि कारोबार बंद न हो।
जागरण संवाददाता, कानपुर : पॉलीथिन प्रतिबंध पर कारोबारी सरकार के साथ हैं लेकिन सरकार भी उन्हें उचित विकल्प दे ताकि कारोबार बंद न हो। सरकार साफ बताए कि क्या-क्या बंद किया गया है और जो चीजें बंद की गई हैं उनके विकल्प के रूप में नए क्या काम हो सकते हैं। यह विचार गुरुवार को पॉलीथिन, पैकिंग सामग्री, डिस्पोजल गिलास के निर्माण और विक्रय से जुड़े कारोबारियों ने दैनिक जागरण परिसर में आयोजित राउंड टेबल कार्यक्रम में कही।
कारोबारियों ने कहा कि वह सरकार से अलग नहीं हैं। उनके बच्चे भी इसी पर्यावरण में रहेंगे, इसलिए वह भी चाहते हैं कि शहर साफ रहे लेकिन हम अपना कारोबार कैसे करें, यह भी व्यवस्था की जाए। सरकार को अपनी पूरी योजना बनानी चाहिए कि हमें कैसे काम करना है, फिर हमें कुछ दिन का समय देना चाहिए कि हम कैसे अपना स्टॉक खत्म कर सकें और दूसरे उत्पाद की तैयारी कर सकें।
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मजबूत करें कचरा प्रबंधन
कारोबारी ज्ञानेंद्र गुप्ता के मुताबिक नगर निगम को अपना कचरा प्रबंधन मजबूत करना चाहिए। अमेरिका प्रति व्यक्ति सालाना 80 किलो पॉलीथिन का उपयोग के बाद निस्तारण कर रहा है लेकिन हम तीन किलो का भी नहीं कर पा रहे हैं।
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एक फीसद सेस भी लगा लें
कारोबारी अनुराग चोखानी ने कहा कि पॉलीथिन कारोबार पर 18 फीसद जीएसटी है। सरकार एक फीसद कचरा निस्तारण के लिए सेस लगा ले, हम उसे भी देने को तैयार हैं। सरकार हमसे पैसा ले और अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करे।
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10 बार री-साइकिल फिर सड़क निर्माण
पॉलीथिन कारोबारी अमन गुप्ता ने कहा कि हम विकासशील देश हैं। हम अभी इसे कैसे बंद कर सकते हैं। पॉलीथिन को 10 बार री-साइकिल किया जा सकता है। इससे बाल्टी, मग्गा, साइकिल के पैडल, साइकिल के हैंडल तक बनते हैं और अंत में जब कुछ नहीं हो सकता तो सड़क निर्माण किया जा सकता है।
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पॉलीएस्टर फिल्म असली संकट
डिस्पोजल कारोबारी सुधीर विज पॉलीएस्टर फिल्म असली संकट है। इसे री-साइकिल नहीं किया जा सकता। इसीलिए इसे कूड़ा बीनने वाले उठाते नहीं हैं। पूरी पॉलीथिन में 75 फीसद कचरा तो इसका ही होता है।
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100 माइक्रॉन का गिलास बनाने की ली शपथ
प्लास्टिक गिलास कारोबारी टिम्मी शर्मा के मुताबिक हमारे गिलास तो वैसे भी 50 माइक्रॉन से ऊपर के होते हैं लेकिन अगर सरकार कहे तो हम शपथ लेकर कहते हैं कि 100 माइक्रॉन के गिलास बनाने लगेंगे।
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होगा एक हजार करोड़ का एनपीए
कारोबारी बालकृष्ण ओमर ने कहा कि शहर में पॉलीथिन इंडस्ट्री पर एक हजार करोड़ रुपये का लोन है। अगर पॉलीथिन पूरी तरह बंद कर दी गई तो यह पूरा लोन नॉन परफार्मेस असेट (एनपीए) हो जाएगा।
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ये भी मौजूद रहे
अभिमन्यु अरोड़ा, पुनीत गुप्ता, विकास गुप्ता, सुनील मिश्रा, संजय गुप्ता, भरत केसरवानी।
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रखी अपनी बात
''कुछ माह पहले प्रदेश सरकार ने इनवेस्टर समिट का आयोजन किया था। उसमें 20-22 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव किया था। अब यह निर्णय आ गया। ऐसे में कैसे निवेश होगा। - के रमेश, पॉलीफार्म्ड व मॉड्यूल्ड प्रॉडक्ट निर्माता।
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''एक तरफ प्लास्टिक की करंसी लाने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की बात हो रही है। यह विरोधाभासी बात है। - रवि सेठ, डिस्पोजल प्लास्टिक के निर्माता।
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''प्लास्टिक को दुकानदार वापस लेने को तैयार हैं। लोग उसे इधर-उधर न फेंकें। एकत्र कर 15 रुपये किलो के हिसाब से कारोबारियों को बेच दें। - हाजी इखलाक मिर्जा, अध्यक्ष, कानपुर प्लास्टिक एसोसिएशन।
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''4,000 रुपये प्रति दुकान लाइसेंस की बात ठीक है। इससे नगर निगम के पास इतना धन आ जाएगा कि उसके संसाधनों की सारी कमियां दूर हो जाएंगी। - विष्णु डालमिया, पॉलीथिन व डिस्पोजल विक्रेता।