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चमड़ा उद्यमियों की कोरिया के बाजार पर नजर

सियोल में सीएलई के प्रतिनिधिमंडल ने की बैठक, बताई संभावनाएं, दक्षिण कोरिया के उद्यमियों को भारत में निवेश का भी न्योता

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 01:29 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 01:29 PM (IST)
चमड़ा उद्यमियों की कोरिया के बाजार पर नजर
चमड़ा उद्यमियों की कोरिया के बाजार पर नजर

जागरण संवाददाता, कानपुर : वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों से लगातार मुकाबले को प्रयासरत भारतीय चमड़ा उद्यमी नए बाजार भी तलाश रहे हैं। इसी क्रम में चर्म निर्यात परिषद (सीएलई) का प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल शहर पहुंचा और वहां संभावनाओं पर मेजबान उद्यमियों संग बैठक की। वहां निर्यात के प्रस्ताव के साथ ही सीएलई ने कोरिया के उद्यमियों को भारत में निवेश का भी न्योता दिया है।

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भारतीय दूतावास के सहयोग से चर्म निर्यात परिषद ने मंगलवार को सियोल में 'लेदर प्रमोशन इवेंट एंड बायर-सेलर मीट' का आयोजन किया। वहां इस तथ्य पर जोर दिया गया कि भारत से द.कोरिया को 2012-13 में 46.77 मिलियन डॉलर का निर्यात था, जो 2017-18 में बढ़कर 67.22 मिलियन डॉलर पहुंच गया। ऐसे में वहां निर्यात की काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। द.कोरिया ने भी चमड़ा, चमड़ा उत्पाद और जूतों का आयात लगातार बढ़ाया है। 2012 में 3190 मिलियन डॉलर तो 2016 में 4000 मिलियन डॉलर के उत्पाद का आयात किया। भारतीय दूतावास में मिशन के डिप्टी चीफ सतीश कुमार सिवान ने कहा कि भारतीय निर्यातकों के लिए द.कोरिया का बाजार बहुत बड़ा है। चूंकि यह देश फैशन और डिजाइन के मामले में बहुत संजीदा है, इसलिए इसका ख्याल जरूर रखना होगा। दल का प्रतिनिधित्व कर रहे काउंसिल फॉर लेदर एक्सपो‌र्ट्स के चेयरमैन मुख्तारुल अमीन ने कहा कि बीते कुछ वर्षो में भारतीय चमड़ा और जूता उद्योग ने गुणवत्ता और विश्वस्तरीय मानकों के मामले में अपनी साख मजबूत की है। लिहाजा भरोसा दिलाते हैं कि भारतीय उद्यमी कोरियन मार्केट की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरेंगे। उन्होंने भारतीय चमड़ा एवं जूता उद्योग के मजबूत हुए व्यापारिक आंकड़े और सरकारी प्रोत्साहन की योजनाओं की जानकारी दी। साथ ही कहा कि कोरियन उद्यमी भारत में निवेश कर सकते हैं। उनके लिए यहां घरेलू बाजार में लगातार तरक्की की बड़ी संभावनाएं हैं। वह अपनी यूनिट लगाने के साथ ही ज्वाइंट वेंचर में भी काम कर सकते हैं। इसके बाद बी-टू-बी मीटिंग भी हुई।


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