कन्नौज और जाजमऊ में गंगाजल बेहद दूषित
सीएसजेएमयू के प्रोफेसरों ने नौ अलग-अलग स्थानों पर लिए थे नमूने, कई स्थानों पर पानी पीने योग्य नहीं
जागरण संवाददाता, कानपुर : गंगा को निर्मल बनाने के लिए कवायद खूब हो रही है, मगर इसका असर धरातल पर नहीं दिख रहा है। गंगाजल की हालत चिंताजनक है, खासकर कन्नौज और कानपुर के जाजमऊ में। हाल में ही कई जगहों से लिए गए गंगाजल के नमूनों के जो जांच नतीजे आए हैं, उसके मुताबिक कन्नौज और जाजमऊ में पानी बेहद दूषित है। ये साफ संकेत हैं कि गंगा में गंदगी, कचरा व पॉलीथिन का फेंकना जारी है। पानी पीने योग्य नहीं है। पानी में डिजॉल्व आक्सीजन न्यूनतम मात्रा से कम होने के साथ ही नाइट्रेट की मात्रा मानक से कहीं ज्यादा है।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की टीम ने कुछ दिनों पहले कन्नौज से लेकर वाजिदपुर (जाजमऊ) तक नौ अलग-अलग स्थानों पर गंगाजल के नमूने लिए। विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में पानी के तापमान, टरबिडिटी (मटमैलापन), नाइट्रेट, एल्कालिनिटी (जल क्षरण), बायोलॉजिकल आॉक्सीजन डिमांड समेत कई परीक्षण किए। जो नतीजे सामने आए, चौंकाने वाले थे। कन्नौज के मेंहदीघाट में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) 2.39 मिलीग्राम प्रति लीटर रही। इसकी न्यूनतम मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। जाजमऊ में नाइट्रेट की मात्र मानक से कई गुना अधिक थी। टीम की ओर से पूरी रिपोर्ट तैयार कर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता को सौंप दी गई है।
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आंकड़ों पर एक नजर
स्थान टोटल एल्कालिनिटी
मेंहदीघाट 50
नानामऊ 180
शिवराजपुर 180
बिठूर 250
गंगा बैराज 260
परमट 270
शुक्लागंज 200
जाजमऊ 230
वाजिदपुर 90
(मात्रा पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) में मापी गई है।)
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स्थान नाइट्रेट
मेंहदीघाट 100
नानामऊ 10
शिवराजपुर 25
बिठूर 10
गंगाबैराज 10
परमट 30
शुक्लागंज 25
जाजमऊ 30
वाजिदपुर 10
(मात्रा पार्ट्स पर मिलियन में मापी गई है।)
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स्थान डिजॉल्व ऑक्सीजन
मेंहदीघाट 2.39
नानामऊ 3.14
शिवराजपुर 4.86
बिठूर 5.86
गंगा बैराज 5.68
परमट 5.84
शुक्लागंज 4.20
जाजमऊ 3.04
वाजिदपुर 3.02
(यह मात्रा मिलीग्राम प्रति लीटर में मापी गई है।)
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ये हैं मानक:
टोटल एल्कालिनिटी : 80-200 पीपीएम के बीच होनी चाहिए।
नाइट्रेट : 0.01-4.0 पीपीएम होनी चाहिए।
डीओ : पांच मिलीग्राम से कम नहीं होनी चाहिए।
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टीम में शामिल:
डा.शाश्वत कटियार (निदेशक आइबीएसबीटी), डा.धरम सिंह, इंचार्ज इंवायरमेंटल साइंस)
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इस रिपोर्ट के बाद अब अगला कदम हैवी मैटल्स टेस्ट होगा। इससे मालूम होगा कि गंगा के पानी में भारी तत्व कौन-कौन से हैं। इससे पानी की गुणवत्ता भी पता लग सकेगी।
-प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता, कुलपति सीएसजेएमयू