आधी आबादी पर जनसंख्या नियंत्रण का दारोमदार
परिवार नियोजन के संसाधन अपनाने में महिलाएं अव्वल, नसबंदी कराने को लेकर आज भी जागरूक नहीं हैं पुरुष
जागरण संवाददाता, कानपुर : तेजी से बढ़ती आबादी के लिए कहीं तक पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता ही दोषी है। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पुरुष जागरूक नहीं हैं, आज भी सारा दारोमदार महिलाओं पर है। यही वजह है कि पुरुष परिवार नियोजन के संसाधन अपनाने में महिलाओं से पिछड़ रहे हैं। नसबंदी कराने के मामले में आधी आबादी अव्वल है।
आजादी के सात दशक बाद भी परिवार नियोजन कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो सका है। जिनके कंधों पर इस कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है, वही लोगों को आज तक जागरूक नहीं कर सके हैं। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार जमीन पर काम करने के बजाय कागजी आंकड़ेबाजी तक ही सीमित हैं। स्वास्थ्य निदेशालय से परिवार नियोजन के विभिन्न संसाधन का जो लक्ष्य जिले को मिलता है वह आज तक पूरा नहीं हो सका। चाहे महिला नसबंदी हो या पुरुष नसबंदी। इसके अलावा कॉपर टी, निरोध, ओरल पिल्स एवं समतुल्य नसबंदी के मामले में भी पिछड़े हुए हैं।
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रभावी बनाने की जरूरत है। कार्ययोजना बनाकर काम किया जाएगा। पुरुष एवं महिलाओं दोनों की बराबर सहभागिता के लिए प्रयास किए जाएंगे। अभी तक के आंकड़ों से पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के अधिक जागरूक होने की पुष्टि होती है।
- डॉ. अशोक शुक्ल, सीएमओ।
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परिवार नियोजन का वर्ष वार ब्योरा
संसाधन लक्ष्य वर्ष (2013-14)
पुरुष नसबंदी 2418 798
महिला नसबंदी 21761 5632
कॉपर टी 62620 32055
निरोध 44945 19195
ओरल पिल्स 23230 8904
समतुल्य नसबंदी 23454 11674
वर्ष (2014-15) वर्ष (2015-16)
400 185
5059 4346
37899 34445
22521 19575
11001 11865
13855 12799 व र्ष (2016-17) वर्ष (2017-18)
482 202
5014 4892
36925 40671
19714 17677
9580 9507
13372 14613