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जहरीली शराबकांडः कानपुर देहात में पकड़ी अवैध शराब फैक्ट्री, जिलों में फ्रेंचाइजी

अवैध शराब, कच्ची शराब या जहरीली शराब का काला कारोबार कानपुर, कानपुर देहात और आसपास के जिलों में धड़ल्ले से चलता मिला।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 09:35 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 07:44 AM (IST)
जहरीली शराबकांडः कानपुर देहात में पकड़ी अवैध शराब फैक्ट्री, जिलों में फ्रेंचाइजी
जहरीली शराबकांडः कानपुर देहात में पकड़ी अवैध शराब फैक्ट्री, जिलों में फ्रेंचाइजी

कानपुर (जेएनएन)। अवैध शराब, कच्ची शराब या जहरीली शराब का काला कारोबार कानपुर, कानपुर देहात और आसपास के जिलों में धड़ल्ले से चलता मिला। सफेदपोश से लेकर पेशेवर अपराधी तक इसमें संलिप्त नजर आए। सारा खेल आबकारी विभाग और हलका इंचार्ज की मिलीभगत से हो रहा था। इस बात का राजफाश कानपुर नगर, देहात, औरैया और जालौन समेत कई ठिकानों पर कानपुर पुलिस की छापेमारी में दर्जन भर गिरफ्तारी के बाद हुआ। कानपुर नगर और देहात में जहरीली शराब से  मौतों का जिम्मेदार पुलिस पूर्व सपा विधायक रामस्वरूप सिंह गौर का पौत्र जिला पंचायत सदस्य नीरज और दस्यु सुंदरी सीमा परिहार के चचेरे भाई रामवीर परिहार समेत कई और लोगों को मान रही है।

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गौशाला में शराब बनाने की फैक्ट्री 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक नीरज ने अपने भाई विनय के साथ रूरा स्थित अपनी गौशाला में केमिकल से शराब बनाने की फैक्ट्री बना रखी थी। यहां से तैयार माल आसपास के देसी शराब के ठेकों में सप्लाई करते थे। लोग शक न करें, इसके चलते ज्यादा दूरी तक माल सप्लाई में दूध व सरसों के तेल के टैंकर का ज्यादा प्रयोग करते थे और आसपास के ठेकों में सप्लाई के लिए सरकारी ठेके में प्रयोग होने वाले लोडर का। केमिकल से बनी शराब की मांग देखते हुए जिलों में फ्रेंचाइजी बांट रखी थी। इसके लिए देसी शराब ठेका संचालक के साथ ही आसपास फार्म हाउस या मार्केट वाले को भी प्राथमिकता देते थे। पुलिस सात लोगों समेत एक मार्केट मालिक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है, जिनसे भारी मात्रा में रैपर, बोतल और केमिकल के साथ पैकिंग की मशीनें बरामद हुई हैं। कानपुर के एसएसपी अखिलेश कुमार ने बताया कि जहरीली शराब से मौत की घटना सामने आते ही उसी रात रूरा में छापेमारी कर नकली शराब बनाने वाली फैक्ट्री और संचालक को पकड़ा गया। आरोपित आसपास के जिलों में जहरीली शराब की सप्लाई व बिक्री कर रहे थे। पूरे गिरोह की धरपकड़ के लिए टीमें लगी हैं।

फ्रेंचाइजी देने से पहले लिटमस टेस्ट

शराब के काले कारोबार में शामिल होने से पहले फ्रेंचाइजी लेने वाले का लिटमस टेस्ट होता था। सात दिनों तक उसके विषय में पूरा ब्यौरा जुटाया जाता, फिर एक बड़ी रकम सिक्योरिटी के नाम पर ली जाती। इसके बाद पहले तैयार माल भेजते थे, वह भी ऐन वक्त पर अपने बताए गए स्थान से इतर। माल फ्रेंचाइजी लेने वाले को अपने वाहन से ले जाना होता था। इसमें पास होने के बाद उसे फ्रेंचाइजी दी जाती थी। इसके बाद वह आसपास के ठेकों में सप्लाई करता था। 

गंगा कटरी से लेकर बीहड़ तक साम्राज्य 

कानपुर शहर ही नहीं, गंगा कटरी के किनारे के गांवों के साथ बीहड़ तक शराब का काला कारोबार करने वालों का साम्राज्य फैला है। इसके लिए हर क्षेत्र के प्रभावशाली व शातिर अपराधियों को पाल रखा था। इनमें ग्राम प्रधान भी शामिल हैं और ऐसे लोग भी जो नशे में संपत्ति उड़ा चुके हैं, गांव में दबदबा भी रखते हैं। इसके पीछे मकसद यह कि गांव में विरोध न हो या विरोध होने पर ये लोग स्थिति संभाल सकें। 

जहरीली शराब से 17वीं मौत

कानपुर देहात और कानपुर के जहरीली शराब कांड में बुधवार को 17वीं मौत हो गई। कानपुर देहात के एक और पीडि़त ने दोपहर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। कानपुर देहात में शराब से अब तक दस लोगों की मौत हो चुकी है। कानपुर देहात के नाला प्रतापपुर, शिवली निवासी महेंद्र ङ्क्षसह मैथा स्टेशन के पास ठेके की शराब पीकर गंभीर हालत में पहुंचे थे। सोमवार को उनको एलएलआर अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया था, जहां वह वेंटीलेटर पर ङ्क्षजदगी व मौत के बीच संघर्ष कर रहे थे। आइसीयू प्रभारी डॉ. सौरभ अग्रवाल ने बताया कि अधिक मात्रा में मिलावटी शराब का सेवन करने से महेंद्र का लिवर पूरी तरह डैमेज हो गया था। बुधवार दोपहर 1.30 बजे उनकी मौत हो गई। कानपुर देहात के डीएम राकेश कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि महेंद्र सिंह की मौत की सूचना के बाद एसडीएम मैथा को उनके परिवारीजन से मिलकर सहायता राशि की चेक मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है। मैथा स्टेशन की दुकान की छानबीन कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। 


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