1189 राशन कार्ड निरस्त, 1361 ने किया सरेंडर
आपूर्ति विभाग ने अपात्रों के राशनकार्डों की शुरू की गई जांच
1189 राशन कार्ड निरस्त, 1361 ने किया सरेंडर
जागरण संवाददाता, कानपुर: अपात्रों पर शिकंजा कसने के बाद राशन कार्ड निरस्त व सरेंडर होने शुरू हो गए हैं। इस माह 1361 लोगों ने राशन कार्ड सरेंडर कर दिए हैं। जांच के दौरान 1361 राशनकार्ड निरस्त कर दिए गए हैं। महीने में दो बार मुफ्त राशन बांटा जा रहा है। इस दौरान वे लोग भी राशन उठा रहे हैं जो इसके पात्र नहीं है। प्रशासन से ऐसे कार्डधारकों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त कर उनसे राशन की वसूली भी की जाएगी। ऐसे में लोग राशन कार्ड सरेंडर करने लगे हैं।
सरकार राशन कार्ड धारकों को माह में दो बार निश्शुल्क खाद्यान्न दे रही है। माह में एक बार नमक, खाद्य तेल व चना भी निश्शुल्क दिया जा रहा है। निश्शुल्क खाद्यान्न मिलने पर पात्रों के साथ अपात्र भी इसका लाभ उठा रहे हैं। अच्छी आय, घर में एसी व अन्य सुख सुविधाएं होने के बावजूद मुफ्तखोरी कर गरीबों का हक मारा जा रहा है। इनके खिलाफ आपूर्ति विभाग ने अभियान शुरू किया है। निर्देश दिए गए हैं कि अपात्र स्वयं अपना राशनकार्ड सरेंडर कर दें। जांच के दौरान अपात्र पाए जाने पर उनसे खाद्यान्न की वसूली भी की जाएगी। अपात्रों ने राशनकार्ड सरेंडर करने शुरू कर दिए हैं। जांच के दौरान राशन कार्ड निरस्त भी किए जा रहे हैं।
-----------
- अपात्र खुद से राशन कार्ड सरेंडर कर दें। जांच के दौरान उनको अपात्र पाया जाता है तो उनका राशन कार्ड निरस्त करने के साथ ही खाद्यान्न की वसूली भी की जाएगी। राशन कार्डों की जांच हो रही है। काफी लोग राशन कार्ड सरेंडर कर चुके हैं।
-जितेंद्र पाठक, प्रभारी जिलापूर्ति अधिकारी
----
शहर में इतने राशनकार्ड धारक
शहर में राशनकार्डों की संख्या 772002 है। इनमें अंत्योदय कार्डों की संख्या 63107 तथा पात्र गृहस्थी कार्डों की संख्या 708895 है।
------
इन लोगों के नहीं बन सकते राशन कार्ड
आयकर दाता, परिवार में चार पहिया वाहन, परिवार में एसी, 100 वर्ग मीटर से अधिक का आवासीय प्लाट या मकान, 80 वर्ग मीटर या उससे अधिक व्यावसायिक स्थान, परिवार के सभी सदस्यों की आय तीन लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक, एक से अधिक शास्त्र अथवा शस्त्र लाइसेंस परिवार में पांच केवीए या उससे अधिक का जनरेटर, परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख से अधिक न हो।