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टाप बाक्स: मन -रे -गा मत, सिर्फ नाम चला व लाभ दिला

जागरण संवाददाता कन्नौजमनरेगा में सरकारी खामियों की बात तो बहुत कही-सुनी जाती है। लेि

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 05:22 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 05:22 PM (IST)
टाप बाक्स: मन -रे -गा मत, सिर्फ नाम चला व लाभ दिला
टाप बाक्स: मन -रे -गा मत, सिर्फ नाम चला व लाभ दिला

जागरण संवाददाता, कन्नौज:मनरेगा में सरकारी खामियों की बात तो बहुत कही-सुनी जाती है। लेकिन, अब इसके जाब कार्ड धारक ही बे-मन दिखने लग गए हैं। जी हां,जिले में मनरेगा श्रमिकों की भरमार है। करीब 90 हजार नए व पुराने श्रमिक जॉबकार्ड धारक हैं, लेकिन वर्तमान में काम 13,494 ही कर रहे हैं। अधिकांश ने सिर्फ योजना का लाभ लेने के लिए मनरेगा के जॉब कार्ड बनवाएं हैं, जबकि काम कोल्ड स्टोर समेत अन्य जगह पल्लेदारी करते आ रहे हैं। इन जॉब कार्ड धारकों ने एक दो दिन से ज्यादा काम नहीं किया है। इससे इनके जॉब कार्ड सक्रिय हैं। कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने 100 दिन काम की गारंटी वाले मनरेगा में एक दिन काम नहीं किया है। कारण यह भी है कि मनरेगा में रोजाना 201 रुपये मजदूरी मिलती है। जिसका भुगतान सप्ताह भर में होता है। जबकि कोल्ड स्टोर समेत बाहर काम करने पर 400 से 500 रुपये रोजाना मिलते हैं। अब मनरेगा का भुगतान भी देर से आने लगा है। इस कारण श्रमिकों में मनरेगा के कार्यों में रुचि नहीं है। उपायुक्त मनरेगा रामसमुझ ने बताया कि अब श्रमिकों की संख्या कम होती जा रही है। अधिकांश बाहर काम करने लगे हैं। ---------------------------------

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सिर्फ लॉकडाउन में बढ़ा था ग्राफ

जिले में वर्ष 2008 से 1,18,148 जॉब कार्ड धारक रहे। लॉकडाउन से पहले महज नौ हजार तक श्रमिक ही मनरेगा में कार्य करते रहे। इधर, लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के कार्यों पर जोर दिया गया तो नए व पुराने श्रमिकों को मिलाकर कुल 54 हजार तक श्रमिकों ने कार्य किया। इससे मनरेगा का ग्राफ अचानक बढ़ गया। भुगतान में दिक्कत आई तो अधिकांश श्रमिक काम छोड़ते गए और अनलॉक होने पर पलायन कर गए। इससे हर महीने श्रमिकों की संख्या घटकर नवंबर में 13,494 तक पहुंच गई है।


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