शहीद पंकज के पार्थिव शरीर की राह देख रहे गांव के रास्ते
जागरण संवाददाता कन्नौज आखिरकार मातृभूमि का रक्षक 12 दिनों तक संघर्ष करने के बाद जिदग
जागरण संवाददाता, कन्नौज : आखिरकार मातृभूमि का रक्षक 12 दिनों तक संघर्ष करने के बाद जिदगी की जंग हार गया। पाकिस्तान की तरफ से सीज फायर का उल्लंघन कर की गई फायरिग से घायल हुए जिले के वीर जवान पंकज दुबे को शहादत मिली तो परिजनों पर वज्रपात हो गया। अब इस वीर सपूत के गांव के रास्तों को उनका इंतजार है।
शुक्रवार को सदर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गंगधरापुर में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। गांव की गलियां भी वीरान सी दिख रहीं थीं। अधिकांश लोगों के घरों में चूल्हे भी नहीं जले थे। शहीद के घर पर रिश्तेदारों के अलावा क्षेत्रीय लोगों और नेताओं की भीड़ लगी थी। भाई रामू दुबे ने बताया कि गुरुवार की शाम को बड़े भाई जवाहरलाल दुबे के मोबाइल पर यूनिट से शहादत की सूचना मिली। जबकि तीन दिन पहले ही वह श्रीनगर के आर्मी हॉस्पिटल में उसे देखकर लौटे थे। इधर, सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। वृद्ध मां रामकांती, बहन रुचि और दिव्यांग पिता शांतिस्वरूप दुबे का बुरा हाल था। लोग परिजनों को सांत्वना दे रहे थे। राजनीतिक दलों से भी पहुंचे लोग
गंगधरापुर गांव में शहीद के घर पर सुबह भाजपा के प्रदेश मंत्री सुब्रत पाठक, पूर्व विधायक वनवारीलाल दोहरे समेत कई भाजपा कार्यकर्ता पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। सुब्रत पाठक ने कहा कि जिले को वीरसपूत पंकज पर अभिमान है और उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। इसके बाद पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब सिंह यादव, पूर्व चेयरमैन हाजी रईस समेत तमाम नेता भी शहीद के घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। कल तक आएगा पार्थिव शरीर
भाई रामू दुबे ने बताया कि शहीद पंकज दुबे का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह तक आ पायेगा। उन्होंने बताया शुक्रवार को कमांड हॉस्पिटल ऊधमपुर में पोस्टमार्टम के बाद शव को विमान से लखनऊ या दिल्ली लाया जाएगा, वहां से सड़क मार्ग द्वारा गांव तक लाया जाएगा। अभी सेना द्वारा रूट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। वहीं, स्थानीय पुलिस ने गांव का भ्रमण कर रूट देखा।