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दवा की कड़वाहट मारेगी कन्नौज की खुशबू

अभिषेक द्विवेदी, कन्नौज : वह दिन दूर नहीं जब दवा से कड़वाहट और बदबू पूरी तरह से दूर हो जाएगी। देश्

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 07:12 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 07:12 PM (IST)
दवा की कड़वाहट मारेगी कन्नौज की खुशबू
दवा की कड़वाहट मारेगी कन्नौज की खुशबू

अभिषेक द्विवेदी, कन्नौज : वह दिन दूर नहीं जब दवा से कड़वाहट और बदबू पूरी तरह से दूर हो जाएगी। देश-विदेश में अपनी महक बिखेर रहा कन्नौज का इत्र अब दवाओं में भी सुगंध के साथ मिठास घोलेगा। इसके लिए सुरस एवं सुगंध विकास केंद्र (एफएफडीसी) ने राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइपर) रायबरेली के साथ अनुबंध किया है। वैज्ञानिकों ने शोध भी शुरू कर दिया है।

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कन्नौज का इत्र महफिलों में लोगों को खास पहचान दे रहा है। अब इसमें एक और खासियत जुड़ने जा रही है। यह है दवा की कड़वाहट और बदबू को मारने की। यहां स्थित एफएफडीसी के वैज्ञानिक अब ऐसा इत्र तैयार कर रहे हैं जो दवा में मिलाया जा सके और उपचार में सहायक हो। केंद्र के प्रधान प्रबंधक डॉ. शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि दवा में खुशबू व मिठास लाने के लिए नाइपर के सहयोग से शोध शुरू हो गया है। कुछ दिन पूर्व नाइपर के निदेशक एसजेएस फ्लोरा एफएफडीसी आए थे। दवाओं में इत्र के प्रयोग को लेकर प्रस्ताव पर सहमति बनी है। बताया कि कन्नौज लैब में इसको लेकर शोध शुरू हो गया है। जल्द ही सैंपल लखनऊ प्रयोगशाला में भेजा गया है। यहां से रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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खुशबू से इलाज में मिली सफलता

डॉ. शक्ति विनय शुक्ला बताते हैं खुशबू से उपचार में सफलता मिल चुकी है। इसको लेकर समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर भी लगते रहते हैं। एरोमा थेरेपी के जरिये लोगों का उपचार हो रहा है। बताया कि एरोमा थेरेपी का अर्थ है सुगंधीय उपचार। तनाव, नींद न आना, मायूसी छाना, एकाग्रता लाने आदि के लिए खुशबू वाले अर्क का इस्तेमाल किया जाता है। शरीर में इस अर्क को लगाने पर इसका असर मस्तिष्क, स्नायुतंत्र पर पड़ता है। इससे उक्त समस्याएं खत्म हो जाती हैं। मसाज से शरीर में पनपने वाले बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं जो आपको रीफ्रेश करता है। इस थेरेपी में औषधीय पेड़-पौधे, जड़, तना, फल-फूल के अर्क का इस्तेमाल होता है। इसे एसेंशियल भी कहा जाता है।

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देसी एसेंशियल ऑयल पर होगा शोध

वैज्ञानिक सिर्फ देसी एसेंशियल ऑयल पर ही शोध करेंगे। ऐसा करने से यहां के लोगों को न सिर्फ फायदा होगा, बल्कि मांग बढ़ने पर इसका उत्पादन भी बढ़ेगा।


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