बुखार से बुझ गया घर का इकलौता चिराग
मृत बालक के चाचा रंजीत ने बताया कि घर पर जब अनुराग की हालत बिगड़ गई तो उसने 10
जागरण संवाददाता, कन्नौज : नियति का खेल देखो, छह माह पहले कैंसर ने पति को छीन लिया। इसके बाद विधवा के लिए बचा एकमात्र सहारा ढाई साल के मासूम बेटे को बुखार ने निगल लिया। बेटे के शव को देखकर मां पागल हो उठी और कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाकर उसकी जिदगी की भीख मांग रही थी।
रविवार को जिला अस्पताल में यह ²श्य देख हर कोई द्रवित हो उठा। क्षेत्र के ग्राम बशीरापुर भाट निवासी गिरीशचंद्र रैदास की मौत इसी साल जनवरी माह में कैंसर से हो गई थी। वह पत्नी आरती के अलावा ढाई साल के बेटे अनुराग को छोड़ गए। शनिवार की रात अनुराग को अचानक तेज बुखार आया तो परिजन परेशान हो उठे। स्थानीय डॉक्टरों को दिखाया लेकिन बच्चे ने आंखें नहीं खोलीं। इसके बाद रविवार दोपहर एंबुलेंस से उसे जिला अस्पताल लाए, जहां चिकित्सकों ने अनुराग को मृत घोषित कर दिया। पति की मौत के बाद इकलौते बेटे के चले जाने से आरती बेसुध हो गई। सीएमएस डॉ. उमेशचंद्र चतुर्वेदी ने अस्पताल के शव वाहन से शव को घर तक भिजवाया। परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इन्कार कर दिया। दो घंटे बाद आई एंबुलेंस
मृत बालक के चाचा रंजीत ने बताया कि घर पर जब अनुराग की हालत बिगड़ गई तो उसने 108 नंबर पर काल की। काफी मुश्किल से नंबर लगा। दो घंटे इंतजार के बाद एंबुलेंस आई, तब तक अनुराग की हालत और बिगड़ गई। यदि एंबुलेंस समय से आ जाती तो उसके भतीजे की जान बच सकती थी। गांव में कोई प्राइवेट वाहन भी नहीं मिला। गांव में चिकित्सीय टीम भेजकर बालक की मौत की जांच कराई जाएगी। एंबुलेंस की लापरवाही पर काल डिटेल के आधार पर सेवा प्रदाता कंपनी के अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
-डॉ. कृष्ण स्वरूप, सीएमओ