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सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा कर मांगा अखंड सुहाग

वट सावित्री अमावस्या पर सुहागिनों ने बरगद के वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा की तथा भगवान से अखंड सुहाग की कामना की। शहर और देहात क्षेत्र के वट वृक्षों के नीचे महिलाओं की भारी भीड़ लगी रही और दिन भर पूजा-अर्चना का क्रम चलता रहा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 06:08 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:05 AM (IST)
सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा कर मांगा अखंड सुहाग
सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा कर मांगा अखंड सुहाग

जागरण संवाददाता, कन्नौज : वट सावित्री अमावस्या पर सुहागिनों ने बरगद के वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा की तथा भगवान से अखंड सुहाग की कामना की। शहर और देहात क्षेत्र के वट वृक्षों के नीचे महिलाओं की भारी भीड़ लगी रही और दिन भर पूजा-अर्चना का क्रम चलता रहा।

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शुक्रवार को मोहल्ला कलेक्ट्रेट रोड, डाकबंगला, सिपाही ठाकुर, चौहट्टा, देविन टोला, तिर्वा क्रासिग, घाघ नगर, मकरंदनगर, होली मोहल्ला, कुतलूपुर, में सुबह चार बजे ही बरगद के वृक्ष के नीचे महिलाएं पहुंच गईं। वट वृक्ष की पूजा की,मंगलगीत गाते हुए बरगद के पेड़ की परिक्रमा भी की। भगवान विष्णु से पति की लंबी उम्र की प्रार्थना की। आचार्य वीरचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि वट सावित्री अमावस्या पर दो बड़े संदेश दिए गए हैं। पहला सावित्री के रूप में नारी सशक्तीकरण, बुद्धिमत्ता और दृढ़निश्चय का। जिसके समक्ष नतमस्तक होकर यमराज को भी पति सत्यवान को जीवनदान देना पड़ा। दूसरा संदेश पर्यावरण के प्रति प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिबद्धता और समग्र चितन करने का। वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा का यही अर्थ है कि यदि वृक्षों का संरक्षण और नए पौधों का रोपण नहीं किया गया तो हमारी आने वाली पीढि़यां शुद्ध वायु के लिए तरस जाएंगी। सनातन धर्म के प्रत्येक व्रत एवं त्योहार में अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक कारण विद्यमान होता है।


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