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छिबरामऊ में वितरण की धीमी प्रगति पर फटकार

जागरण संवाददाता कन्नौज छिबरामऊ में ड्राई राशन वितरण की धीमी प्रगति पर डीएम ने नाराजग

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 11:54 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 11:54 PM (IST)
छिबरामऊ में वितरण की धीमी प्रगति पर फटकार
छिबरामऊ में वितरण की धीमी प्रगति पर फटकार

जागरण संवाददाता, कन्नौज : छिबरामऊ में ड्राई राशन वितरण की धीमी प्रगति पर डीएम ने नाराजगी जताई। फटकार लगाते हुए दो दिन में सौ फीसद वितरण करने की मोहलत दी है वर्ना कार्रवाई की जाएगी।

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सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला पोषण समिति की बैठक में डीएम राकेश कुमार मिश्र ने कड़ा रुख दिखाया। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तरफ से वितरण होने वाले ड्राई राशन की समीक्षा की, जिसमें छिबरामऊ ब्लॉक फिसड्डी निकला। 235 आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ 115 में वितरण होना बताया गया। धीमी गति पर नाराजगी जताते हए संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई। प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी नीलम कटियार को स्वंय जाकर दो दिन के अंदर सौ फीसद वितरण कराने के निर्देश दिए। साथ ही कार्रवाई की चेतावनी दी। यह भी कहा रोजाना वितरण के साथ अभिलेखों में दर्ज करें। बैठक में सीडीओ आरएन सिंह, डीडीओ एनबी सविता, डीपीआरओ जितेंद्र कुमार मिश्रा व सभी सीडीपीओ रहे।

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अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेकर करें देखभाल

डीएम ने बताया कि जिले में 1023 अतिकुपोषित यानी लाल श्रेणी के बच्चे चयनित किए गए हैं, जिन्हें अधिकारी व कर्मचारी गोद लेंगे। यह कार्य इसी माह कर लिया जाएगा। इसके बाद प्रति माह नियमित रुचि लेकर बच्चों को चिकित्सा सुविधा व पुष्टाहार से लाभान्वित कराएं। सत्यापन भी करेंगे। जरूरत पड़ने पर संबंधित प्रभारी चिकित्सा अधिकारी से परामर्श लेकर जिला पोषण पुनर्वास केंद्र पर भर्ती कराएंगे। ताकि बच्चा भविष्य में सुपोषित हो सके। स्वास्थ्य व योजना के साथ खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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साहब! तकनीकी सपोर्ट की भी मॉनीटरिग जरूरी

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को एक संस्था तकनीकी सपोर्ट कर रही है, जिसे भी परखना जरूरी है। संबंधित विभाग के अभियान और योजना के नाम पर कागजी घोड़ों की पूरे वर्षभर की पोल खुल चुकी है। फर्जीवाड़ा साबित होने पर दोबारा कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चे चयनित किए गए हैं, जिनकी संख्या पहले से अधिक निकली है। यानी विभाग व संस्थान ने कार्य ही नहीं किया है। विभाग की पोल तो खुल चुकी है। अब संस्था की मॉनीटरिग भी जरूरी है।


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