सीनियर डॉक्टरों का टोटा, मरीजों को नहीं मिल रही राहत
संवाद सहयोगी, तिर्वा : राजकीय मेडिकल कालेज में सीनियर डॉक्टरों की भारी कमी है। इससे जूि
संवाद सहयोगी, तिर्वा : राजकीय मेडिकल कालेज में सीनियर डॉक्टरों की भारी कमी है। इससे जूनियर डॉक्टरों के भरोसे मरीजों का इलाज हो रहा है। सामान्य मर्ज का इलाज होता है जबकि गंभीर बीमारी पर रेफर लेटर थमा देते हैं। इससे मरीजों को काफी दिक्कतें होती हैं।
राजकीय मेडिकल कालेज में करीब 47 सीनियर डॉक्टरों की आवश्यकता है। इसमें मौजूदगी महज पांच डॉक्टरों की है। मरीजों का इलाज चिकित्सा शिक्षक हफ्ते में एक या दो दिन आकर करते हैं। अन्य दिनों जूनियर डॉक्टर की इलाज की भरपाई करते हैं। इमरजेंसी पड़ने पर मरीजों को मेडिकल कालेज से रेफर कर दिया जाता है। सीनियर डॉक्टरों की भारी कमी होने से मेडिकल कालेज में मरीजों की कमी होने लगी। ओपीडी में तो औसतन रोजाना 700 मरीज आते हैं लेकिन स्थायी डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज भर्ती नहीं होते हैं। डॉक्टर अपने निर्धारित दिन पर आकर ओपीडी में बैठकर मरीजों को देख लेते हैं। इसके बाद भर्ती फाइल में आर्डर डालकर अपने घरों को रवाना हो जाते हैं। इसके साथ इमरजेंसी पड़ने पर मरीज को जूनियर डॉक्टर देखते हैं। मोबाइल पर सीनियर डॉक्टरों से बातचीत कर राहत पहुंचाते हैं। आराम न मिलने पर मरीज को रेफर कर दिया जाता है। क्या कहते हैं जिम्मेदार
डॉक्टरों की कमी को लेकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। मरीजों के इलाज में कोई दिक्कत नहीं हो दी जा रही है। चिकित्सा शिक्षक के निर्देशन पर ही जूनियर डॉक्टर इलाज करते हैं।
-डॉ. दिलीप ¨सह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय मेडिकल कालेज।