सुगंध नगरी की फिजां में घुल रहा जहर
जागरण संवाददाता, कन्नौज: जिस सुगंध नगरी की फिजाओं में कभी खुशबू घुला करती थी। अब उसकी ज
जागरण संवाददाता, कन्नौज: जिस सुगंध नगरी की फिजाओं में कभी खुशबू घुला करती थी। अब उसकी जगह जहरीली हवा और बीमारियां घुल रहीं हैं। यही हाल रहा तो इत्र नगरी में सांस लेना तक दूभर हो जाएगा। जिले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न होने से इसका आंकलन करना भी मुनासिब नहीं है, लेकिन अस्पतालों में बढ़ रहे अस्थमा के मरीजों की संख्या को देखकर प्रदूषण की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जिले में शहरी आबादी कम जरूर है पर हर तरफ बेधड़क दौड़ रहे टेंपो-टैक्सी, डग्गामार बसें व जीपें लोगों की जदगी में जहर घोल रही हैं। शहरी इलाके धुआं-धुआं हैं। ¨जदगी भी शाम के बाद घुटन भरी हो जाती है। उद्योगों से निकलने वाले धुएं का भी असर पड़ रहा है। इसके बाद भी प्रदूषण नियंत्रण के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। जिले में प्रदूषण रोकने के नाम पर कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं जरूर लोगों को जागरूक करती दिखती हैं पर जिम्मेदार आंखें बंद किए हुए हैं। कभी-कभी कानपुर स्थित क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय से विशेषज्ञ यहां पहुंच आंकड़े जुटाकर चले जाते हैं।
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खुले में जलाया जाता कूड़ा
जिले में मुख्यालय के अलावा छिबरामऊ, गुरसहायगंज, तिर्वा समेत अन्य इलाकों में कूड़ा निस्तारण व्यवस्था न होने से कर्मचारी जला देते हैं, इससे निकलने वाला धुआं बेहद जहरीला होता है। इसमें पॉलीथीन समेत हानिकारक वस्तुएं भी शामिल होती हैं, इनसे निकलने वाला केमिकलयुक्त धुआं सांस के जरिए सीधे लोगों के अंदर तक पहुंचता है।
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घरों पर कालिख, जाम करता बेदम
नगर के जीटी रोड से लेकर अंदरूनी हिस्सों तक इत्र उद्योग से जुड़ी चिमनी धुआं उड़ाती रहती हैं। इनसे निकलने वाली कालिख लोगों के घरों की छतों पर पहुंच जाती है। इसका असर घर पर रखे पानी व खाद्यान्न पर भी पड़ता है। इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण महकमे ने भी कोई पहल नहीं की है। वहीं तिर्वा क्रा¨सग, गैस एजेंसी रोड, मुख्य बाजार, पालिका रोड, लाखन तिराहा समेत अन्य जगहों पर हजारों वाहन गुजरते हैं। जाम लगने के दौरान वाहनों से निकलने वाला धुआं आसपास लोगों को बीमार कर रहा है।
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घनी बस्तियों में ज्यादा दिक्कत
नगर में जीटी रोड के आसपास घनी आबादी में दिन भर ट्रक, बसों व अन्य वाहनों के धुएं से लोगों को समस्या होती है। कोतवाली रोड से पालिका, लाखन तिराहा होते हुए मकरंद नगर जाने वाले रोड पर भी दिनभर टेंपो धमाचौकड़ी मचाते हैं। मानक के विपरीत दौड़ रहे टेंपो का जहरीला धुआं शुद्ध हवा में जहर घोल रहा है। मकरंदनगर में औद्योगिक क्षेत्र के कारण ज्यादा दिक्कत है।
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बच्चों में भी बढ़ रहा अस्थमा
जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. वीके शुक्ला ने बताया कि प्रतिदिन करीब 40 लोग अस्थमा के आ रहे हैं। एक माह में औसतन 1200 मरीज आते हैं। पिछले साल करीब 879 अस्थमा के मरीज आए थे, जिसके सापेक्ष इस बार करीब 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बुजुर्गों की अपेक्षा युवाओं और बच्चों में अस्थमा तेजी से बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह प्रदूषण ही है।
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वन क्षेत्र
5000 हेक्टेयर
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एक नजर में वाहनों की तादाद
दोपहिया वाहन : 1,35,277
कार : 4200
जीप : 2504
ट्रैक्टर : 11933
लोडर : 1736
बस व मिनी बस : 190
ट्रक : 450
मिनी ट्रक : 332
टेंपो : 2094
मैजिक : 530
भारी वाहन : 6764
अन्य प्रांतों के निजी वाहन : 1749
कामर्शियल वाहन : 549