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आलू की बोआई प्रभावित, मक्का व धान को नुकसान

जागरण संवाददाता कन्नौज जिले भर में बुधवार रात से गुरुवार तक हुई बारिश से सबसे ज्यादा फ

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 05:19 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 05:19 PM (IST)
आलू की बोआई प्रभावित, मक्का व धान को नुकसान
आलू की बोआई प्रभावित, मक्का व धान को नुकसान

जागरण संवाददाता, कन्नौज : जिले भर में बुधवार रात से गुरुवार तक हुई बारिश से सबसे ज्यादा फसलों को नुकसान हुआ है। बारिश के कारण अधिकांश क्षेत्रों में होने वाली कच्चे आलू की बोआई रुक गई है। बारिश व जलभराव के कारण एक सप्ताह तक बोआई लेट हो गई है। वहीं, कुछ जगह किसानों ने आलू की बोआई की है, जिसमें नुकसान होने की संभावना जताई गई है। इसी तरह लगातार तीन दिन तक बारिश हुई तो खेतों में डाला गया बीज सड़ जाएगा और बारिश के बाद तेज धूप निकली तो अंकुरण खराब होगा, जबकि तीन चार दिन तक लगातार बारिश की संभावना जताई गई है। जिला कृषि अधिकारी आवेश सिंह ने बताया बारिश का असर आलू की बोआई पर पड़ा है। जिले में इस बार करीब 48 हजार हेक्टेयर में आलू बोआई का लक्ष्य रखा गया है।

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मक्का व धान को वरदान की जगह नुकसान

मक्का व धान के लिए वरदान कही जाने वाली बारिश नुकसानदायक साबित हुई है। मक्का की तैयार फसल पर असर पड़ा है। कई क्षेत्रों में अंकुरित पौधे गिर गए हैं, जो नष्ट हो जाएंगे। इसी तरह धान के पौधे हवा से गिर गए हैं। इस कारण धान में भी काफी नुकसान होने की संभावना है। धान व मक्का के जो पौधे तैयार हो रहे हैं उनके लिए यह बारिश फायदेमंद साबित हुई है। मक्का 44 हजार हेक्टेयर व धान 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस बार की गई है। सब्जियों में लौकी, धनिया, तोरई व कद्दू समेत अन्य फसलें भी जलभराव के कारण बर्बाद हुई हैं।

खेतों से निकालें पानी :

कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाक्टर वीके कनौजिया ने बताया कि बारिश का असर आलू की बोआई पर पड़ा है, जिन किसानों ने बोआई की है वह जलभराव न होने दें, जो बोआई करने वाले हैं वह एक सप्ताह के बाद करें। धान व मक्का के हवा से गिरे पौधे बर्बाद हो जाएंगे, जो पौधे सुरक्षित हैं वहां जलभराव न होने दें। आलू के लिए मौसम खुलने का इंतजार करें। खेत सूखने के बाद ही बोआई करें।

ऐसे करें आलू बीज उपचारित

कृषि वैज्ञानिक डाक्टर वीके कनौजिया ने किसानों को आलू बीज उपचारित करने की सलाह दी है। बताया कि एक किलो बीज में चार ग्राम ट्राइकोडरमा पाउडर मिलाकर चिपका दें और तुरंत बोआई कर दें। इसके अलावा एक ग्राम बाविसतीन एक लीटर पानी में मिलाएं और उसमें बीज दस मिनट तक किसी कपड़े से ढककर रख दें। इसके बाद बोआई करें। मौनसरीन भी बीच उपचारित करने के लिए बेहतर रहेगा, जो एक लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बिना कटे आलू बीज में घोल बनाकर मिला दें और दस मिनट बाद बोआई कर दें।

ट्राइकोडरमा व सड़े गोबर की डालें खाद

बीच उपचारित करने के बाद किसान खेत में ट्राइकोडरमा व सड़ी गोबर की खाद भी डालें, जो जलभराव से हुए नुकसानदायक जीवाणुओं को खत्म करेगा। इसके लिए ढाई किलो ग्राम ट्राइकोडरमा व 100 किलो सड़ी गोबर की खाद मिलाकर एक सप्ताह तक छायादार जगह रखनी होगी। उस पर किसी मोटे कपड़े को गीलाकर ढकना होगा। फिर खेत में मिलाकर जोताई की जाएगी।


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