होटलों में प्राकृतिक इत्र करें अनिवार्य, गुटखा-फ्रेशनर बनाएं
जागरण संवाददाता, कन्नौज : देश के प्रत्येक होटल में ¨सथेटिक के बजाय प्राकृतिक इत्र खरीदने क
जागरण संवाददाता, कन्नौज : देश के प्रत्येक होटल में ¨सथेटिक के बजाय प्राकृतिक इत्र खरीदने की अनिवार्यता लागू कराई जाए। गुटखा व माउथ फ्रेशनर में कन्नौज की असली सुगंध का इस्तेमाल कर लाखों लोगों को बीमारी से बचाने की कोशिश होनी चाहिए। प्राकृतिक इत्र से गुटखा को बेहतर फ्रेशनर बनाया जा सकता है। इत्र कारोबारियों ने यह मांग प्रदेश के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग, निर्यात प्रोत्साहन, खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी के साथ एफएफडीसी में हुई बैठक में रखी।
कारोबारियों ने इत्र उद्योग की गिरती साख पर ¨चता जताते हुए कहा कि ¨सथेटिक व इसेंसियल ऑयल की मिलावट से बनने वाले नकली उत्पाद व गुलाब जल ने असली कारोबारियों का काम चौपट कर दिया है। बड़ी कंपनियों के कारण छोटे कारोबारियों का असली गुलाब, खस, केवड़ा जल बिक नहीं पाता है। ¨सथेटिक आयल से निर्मित गुलाब जल हानिकारक होने के बाद भी लोग जानकारी के अभाव में खरीदते हैं। पान मसाला, गुटखा व फ्रेशनर में प्राकृतिक इत्र के इस्तेमाल से सभी को फायदे होंगे। अभी तक इत्र उत्पादों का मानक तय न होने से चीन की खराब व गुणवत्ता विहीन वस्तुएं हम खरीद रहे हैं। एक उत्पाद-एक जिला में परफ्यूम की जगह इत्र दर्ज होना चाहिए। पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए गैस की आपूर्ति हो। इससे लकड़ी की कटान बंद होगी। गुलाब जल यहां का कुटीर उद्योग है। उस पर टैक्स से कमर टूट चुकी है। एफएफडीसी का फायदा दूसरे प्रांत के लोग लेते हैं लेकिन जिले को इसमें शामिल किया जाए। कन्नौज में रोजगार खत्म हो चुके हैं। नई टैक्स प्रणाली के कारण कारोबारी दूसरे प्रदेशों में माल नहीं बेच पाते हैं। इससे नकली उत्पाद बनाने वाले फायदे में हैं। जिले के औद्योगिक क्षेत्र में कोई सुविधाएं नहीं हैं। जमीनों की कमी है इसलिए इस तरफ ध्यान दें। इस पर मंत्री ने सभी से लिखित में समस्याएं मांगी। कहा कि जल्द इस पर सरकार के स्तर से विचार होगा। बैठक में ओमप्रकाश पाठक, विवेक नारायण मिश्र, विपिन मिश्र, प्रशांत, राजीव मिश्रा, अरविंद व नीरज मल्होत्रा समेत अन्य रहे।
उद्योग उपायुक्त नहीं दे सके जवाब
मंत्री ने बैठक से पहले जिले में किसानों के सुगंधित पौधों की खेती को लेकर उद्योग उपायुक्त बीपी बाजपेई से आंकड़े पूछे तो वह बगलें झांकने लगे। इस पर मंत्री ने नाराजगी जताई। बाद में पता चला कि यह आंकड़े रखने की जिम्मेदारी उनकी नहीं है तो मंत्री ने बैठने के निर्देश दिए। कुछ कारोबारियों ने बेवजह की बात बोली तो कहा कि वह खुद विज्ञान के छात्र रहे हैं। इसलिए उनको ज्यादा समझाएं नहीं।
यह ¨बदु निकल कर आए सामने
- किसानों को स्टार्ट अप से जोड़कर फूलों की खेती कराएं।
- इत्र निर्माण के मानक तय करने के साथ नकली पर रोक लगे।
- निर्यात का रोडमैप बने, जीएसटी में नौ माह से रुपये फंसे।
- अक्सर सर्वर व नेट की खामी से जीएसटी रिटर्न में भरते अर्थदंड।
- इत्र की ऐतिहासिक धरोहर को संजोने की तरफ बढ़ें कदम।