तनाव को रखें दूर वर्ना डिप्रेशन ले सकता चपेट में
संवाद सहयोगी, तिर्वा (कन्नौज) : परीक्षा में कम अंक आने या किसी काम में असफल होने का मतलब ¨जद
संवाद सहयोगी, तिर्वा (कन्नौज) : परीक्षा में कम अंक आने या किसी काम में असफल होने का मतलब ¨जदगी का अंतिम पड़ाव नहीं है। दबाव पड़े या ताने मिलें लेकिन कभी पीछे मत हटें। डिप्रेशन (अवसाद) का शिकार होने से ¨जदगी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। यह बेहद खतरनाक बीमारी है। नींद से लेकर भूख-प्यास तक मिटा देती है। इसलिए परिजनों को भी हमेशा इसका ख्याल रखना चाहिए। अपने बच्चों, करीबियों, परिचितों व रिश्तेदारों के मददगार बनें। मेहनत व लगन से काम करने को लेकर उनमें उत्साह भरें। इससे कोई काम असंभव नहीं होता है। यह सलाह राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य व मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने दी है। डिप्रेशन के यह हैं प्रमुख कारण
-परीक्षाओं में कम अंक पर परिजनों का दबाव।
-बच्चों को लगातार ताने देने व नीचे दिखाने से।
-शारीरिक क्षमता से अधिक जबरन कामकाज करना।
-बेहतर की इच्छा में अधिक समय पढ़ाई पर आराम कम।
-सफलता की चाहत में लगातार मानसिक तनाव यह होते हैं लक्षण
-परीक्षा में कम अंक व फेल होने पर अकेलेपन का भाव।
-किसी एक बात पर लगातार चर्चा व सोचते रहना।
-एकांत में रहना और शरीर को नुकसान पहुंचाना।
-भूख कम लगना व धीरे-धीरे नींद गायब होना।
-दिनचर्या में बदलाव, चिड़चिड़ापन व बार-बार गुस्सा आना। इन बातों का रखें ख्याल
-मन बहलाने के लिए बच्चों की इच्छानुसार करें काम।
-मनमाफिक भोजन, घूमने व खेलने की प्रेरणा देना।
-किसी भी बात पर बच्चों को डांटे नहीं, हंस कर टालने संग सीख दें।
-बच्चों के मन वाले काम कराने से डिप्रेशन होता दूर।
-विशेषज्ञ डॉक्टरों के बिना कोई दवा नहीं खिलानी चाहिए। इनका कहना है
डिप्रेशन यानी अवसाद बेहद खतरनाक बीमारी है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। समय-समय पर विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श लेकर दवाएं लेनी चाहिए ताकि कोई समस्या न हो।
-डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार, मानसिक रोग विशेषज्ञ।