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डॉक्टर नदारद, टूटे स्ट्रेचर पर स्वास्थ्य सेवाएं

बाद काफी मुश्किल से स्ट्रेचर या व्हील चेयर उपलब्ध होती है। वहीं ओपीडी में सर्जन कक्ष बाल रोग विशेषज्ञ ट्राएज कार्नर व मनोरोग कक्ष के बाहर बेंच पर या जमीन पर कई मरीज और तीमारदार बैठे थे और डॉक्टरों की कुर्सियां खालीं पड़ीं थीं। कई मरीजों ने बताया कि वह सुबह से पर्चा बनाकर डॉक्टर के इंतजार में बैठे हैं

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:46 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 10:46 PM (IST)
डॉक्टर नदारद, टूटे स्ट्रेचर पर स्वास्थ्य सेवाएं
डॉक्टर नदारद, टूटे स्ट्रेचर पर स्वास्थ्य सेवाएं

जागरण संवाददाता, कन्नौज : भले ही शासन की तरफ से सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग है। जिला अस्पताल हो या मैटरनिटी विग, दोनों में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रहीं हैं। इसका खामियाजा उन मरीजों को भुगतना पड़ता है, जो डॉक्टर के न मिलने से मायूस होकर लौट जाते हैं। ²श्य : एक

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जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर स्ट्रेचर टूटा पड़ा था। मरीजों को एंबुलेंस से उतरने के बाद काफी मुश्किल से स्ट्रेचर या व्हील चेयर उपलब्ध होती है। वहीं, ओपीडी में सर्जन कक्ष, बाल रोग विशेषज्ञ, ट्राएज कार्नर व मनोरोग कक्ष के बाहर बेंच पर या जमीन पर कई मरीज और तीमारदार बैठे थे और डॉक्टरों की कुर्सियां खालीं पड़ीं थीं। कई मरीजों ने बताया कि वह सुबह से पर्चा बनाकर डॉक्टर के इंतजार में बैठे हैं, लेकिन यहां कोई नहीं आया। कई लोग जब सीएमएस से शिकायत करने गए तो वहां भी कोई नहीं था। ²श्य : दो

मैटरनिटी विग में भी ओपीडी में महिलाओं की भीड़ लगी थी और महिला चिकित्सकों के कक्ष में ताले पड़े थे। दरवाजा खुलने के इंतजार में कई गर्भवती महिलाएं बैंठीं थीं। एक महिला ने बताया कि वह पिछले तीन दिन से यहां आ रही है और किसी भी दिन डॉक्टर नहीं मिलीं। एक कक्ष में स्टाफ नर्स महिलाओं को परामर्श दे रहीं थीं। कई महिलाओं ने बताया कि यहां रोजाना यही हाल रहता है। एक तो डॉक्टरों की कमी है और जो भी महिला डॉक्टर हैं, वह आती नहीं है। मजबूरन प्राइवेट अस्पताल में दिखाना पड़ता है। ओपीडी में सभी डॉक्टरों को समय से बैठने के निर्देश हैं। प्रतिदिन निरीक्षण किया जाता है। जो भी डॉक्टर गायब रहते हैं, उनसे स्पष्टीकरण लिया जा रहा है। मैटरनिटी विग में डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए एनएचएम को पत्र लिखा गया है।

- डॉ. राजेंद्र प्रसाद शाक्य, सीएमएस

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