मुझे 10 व सिपाही को 2 हजार रुपया महीना दो
जागरण संवाददाता, कन्नौज: आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और सिपाही की कारगुजारियां परत दर
जागरण संवाददाता, कन्नौज: आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और सिपाही की कारगुजारियां परत दर परत खुल रहीं हैं। शराब विक्रेता दोनों की दबंगई और वसूली से पिछले कई दिनों से परेशान थे। पीड़ितों ने पिछले माह उप आबकारी आयुक्त कानपुर और आबकारी राज्यमंत्री से शिकायत की थी। आरोप लगाया कि इंस्पेक्टर ने 12 हजार रुपया प्रति माह देने को कहा था, ऐसा न करने पर फर्जी क्यूआर कोड लगाकर फंसाने की धमकी दी थी। मामले में राज्यमंत्री ने प्रमुख सचिव आबकारी को जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
आबकारी इंस्पेक्टर अमित कुमार निर्मल और सिपाही नरेंद्र के खिलाफ शराब विक्रेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। अभी तक दो फाड़ रहने वाले ये विक्रेता अब एकजुट हो गए हैं।पीड़ित ने 20 नवंबर को आबकारी राज्यमंत्री अर्चाना पांडे को शिकायती पत्र भेजा था। जिसके मुताबिक इंस्पेक्टर और सिपाही प्राइवेट कार से आकर वसूली करते हैं। आरोप है नेरा में एक पेटी नकली शराब पकड़ी। इसके बाद चार घंटे दुकान बंद रखी। बाद में दो लाख रुपया लेकर छोड़ा गया। इंस्पेक्टर ने प्रति माह 10 हजार रुपये मांगे। इसके अलावा दो हजार रुपये सिपाही नरेंद्र को भी देने को कहा। ऐसा न करने पर फंसाने की धमकी दी।
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उप आबकारी आयुक्त ने मांगे साक्ष्य
नवंबर माह में ही शिकायतकर्ताओं ने उप आबकारी आयुक्त कानपुर को भी शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें उन्होंने इंस्पेक्टर और सिपाही पर वसूली करने के आरोप लगाए थे। मामले में शिकायतकर्ताओं को 21 दिसंबर को शपथपत्र के साथ-साथ साक्ष्य देने के लिए कानपुर उप आबकारी आयुक्त कार्यालय बुलाया गया है।
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नाम गोपनीय रखना, लाइसेंस निरस्त हो जाएगा
आबकरी इंस्पेक्टर और सिपाही का खौफ शिकायतकर्ताओं में इस कदर है कि उन्होंने कोरे कागज में हस्ताक्षर कर दिए। यही नहीं शिकायती पत्र में उन्होंने न्याय मांगने के साथ-साथ अपना नाम गोपनीय रखने की भी गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अगर नाम पता चल गया तो इंस्पेक्टर और सिपाही दुकान पर फर्जी शराब दिखाकर लाइसेंस निरस्त करवा सकते हैं।