उम्मीद सोना तो हकीकत माटी
150 से 200 रुपये बंडल फूल दिल्ली पिछली वर्ष गया था। इसमें 25 फूल होते हैं। इस बार किसी ने पूछा तक नहीं। पूरी फसल बेकार हो गई। बीज बचा उसको कोल्ड में डाल दिया। इस बार आगामी सीजन भी बेकार रहेगा। - राजेश सक्सेना
फोटो संख्या : 23 केएनजे 51, 52, 53 व 54
--------
-बेहाल किसान
-करीब 350 बीघे में की जाने वाली ग्लैडियोलस फूल की खेती आज बेजार
-मांग न होने के कारण मवेशियों को खिलाया जा रहा इसका चारा
संवाद सहयोगी, छिबरामऊ: किसानों को लाखों की आमदनी कराने वाला यह फूल आज उन्हें खून के आंसू रूला रहा है। लागत की बात तो दूर फसल की सिचाई में लगाए गए पानी के रुपये भी किसान नहीं निकल पा रहे हैं। लोगों की भेंट व मित्रता को लेकर हमेशा हाथों की शोभा बनने वाला ग्लैडियोलस फूल इस समय बेजार हो रहा है। लॉकडाउन में स्थिति यह हो गई है कि कोई इसको पूछ नहीं रहा है। ऐसे में अब यह मवेशियों के पेट की भूख चारे के रूप में मिटा रहा है। किसान इसको लेकर बेहाल है।
इस फूल की खेती क्षेत्र में करीब 300-350 बीघा में किसान करते हैं। 50 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये बीघा तक यह फूल तैयार होने के बाद बिकता था। लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया। ऐसे में दिल्ली, आगरा, लखनऊ व कानपुर को जाने वाली सप्लाई बंद हो गई। फूल खेतों में ही खड़ा रह गया। किसान इंतजार करते रहे लेकिन लॉकडाउन नहीं खुला। इस बीच पानी, दवा, खाद आदि पड़ चुकी थी। कोई रास्ता न देखकर किसानों ने इसको काटना शुरू कर दिया। फूल हटाकर फेंक दिए। हरे हिस्से को मवेशियों के चारे में काट दिया। बीज को अलग निकाल लिया।
-------
क्षेत्र के इन गांवों में प्रमुखता:
ग्लैडियोलस छिबरामऊ विकास खंड के गांव मधौनगर, नगला भजा, सिंहपुर, बैरागपुर, नगला दुगर, मनिकापुर, रकरा, प्रेमपुर, सरायगोपाल आदि में प्रमुखता से किया जाता है। दीपावली व होली के आसपास तैयार होने वाली फसल किसान दोनों समय पर करते हैं।
.
एक बीघा में आती है यह लागत:
किसान एक बीघा में करीब 20 हजार रुपये का बीज लगाता है। इसके बाद पांच हजार रुपये नराई व खाद पर खर्च करता है। वहीं तीन हजार रुपये पानी व दवा पर खर्च करने पड़ते हैं। 28 से 30 हजार रुपये तक खर्च एक बीघा पर आ जाता है।
.
बीज भी नहीं बेंच पाया किसान
होली के बाद तैयार होने वाले ग्लैडियोलस के फूल की बिक्री किसान दिल्ली में कर देता था। इसके बाद बीज को बेंचकर अपने परिवार के एक वर्ष के लिए गेहूं सहित अन्य अनाज का भंडारण कर लेता था। इस बार बीज भी नहीं बिता तो किसान को इसको कोल्ड में डालना पड़ा। कोरोना वायरस के संक्रमण में इस बार आगे में भी किसान को इस फूल से कोई उम्मीद नहीं है।
----
किसान बोले
फूल का कटान मांग न होने की वजह से नहीं हो सका। आमदनी न होने पर बेहतर देखरेख भी नहीं हुई। ऐसे में बीज हल्का हो गया। फूल कटाई न होने पर फसल बेकार हो गई। खेत खाली करने के लिए चारा के रूप में फसल मवेशियों को खिला दी।
- मुन्नालाल शाक्य
150 से 200 रुपये बंडल फूल दिल्ली पिछली वर्ष गया था। इसमें 25 फूल होते हैं। इस बार किसी ने पूछा तक नहीं। पूरी फसल बेकार हो गई। बीज बचा, उसको कोल्ड में डाल दिया। इस बार आगामी सीजन भी बेकार रहेगा।
- राजेश सक्सेना