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कट रही वनसंपदा, घट रही हरियाली

पेड़ों की अवैध कटान से वन संपदा घटती जा रही है। पर्यावरण असुंतलन के कारण लोगों पर बुरा असर पड़ रहा है। घटते जलस्तर के कारण भी हरियाली उजड़ रही है जिसे वन विभाग नहीं बचा पा रहा है। वहीं रखवाली न होने से भी पौधे नष्ट हो जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 10:46 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 10:46 PM (IST)
कट रही वनसंपदा, घट रही हरियाली
कट रही वनसंपदा, घट रही हरियाली

जागरण संवाददाता, कन्नौज : अधाधुंध वन संपदा के कटान से हरियाली घट रही है। पर्यावरण असंतुलन से लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। घटता जलस्तर भी इसका अहम कारण है। हर साल लाखों पौधे लगाए तो जाते हैं, लेकिन इनका संरक्षण नहीं किया जाता। निगरानी में नाकाम वन विभाग भी बजट न मिलने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेता है।

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वन विभाग की अनदेखी और लापरवाही से हर साल लगने वाले लाखों पौधे दम तोड़ जाते हैं। वर्ष 2018 की बात करें तो नगर व ग्रामीण इलाकों में सरकारी विभागों के सहयोग से 7.80 लाख पौधे लगाए गए थे। वन विभाग ने 3.16 लाख और अन्य विभाग ने 4.64 लाख पौधे रोपकर अभियान सफल बनाया था। हालांकि बजट के अभाव में वन विभाग ने इनकी देखरेख नहीं की और सिर्फ 1.95 लाख पौधे ही बचाए जा सके। शेष अनदेखी के अभाव में सूख गए। वर्तमान में जिले में 12 हजार एकड़ वन क्षेत्र है, लेकिन वन विभाग पौधों की देखरेख नहीं कर रहा है। तीन साल तक करनी होती है देखरेख

पौधरोपण के बाद तीन साल तक देखरेख करनी होती है। इसके लिए वन विभाग को बजट भी मिलता है। पहले साल पौधा बड़ा होने में बीत जाता है। दूसरी और तीसरे साल सिंचाई, निराई और गुड़ाई करनी होती है। हालांकि बजट न मिलने के कारण वन विभाग ने इस साल कोई काम नहीं किया। 2016 से ट्री गार्ड भी नहीं मिले। वर्ष वार इतने लगे पौधे

2013-14 : 2,77,150

2014-15 : 2,05,445

2015-16 : 3,66,366

2016-17 : 7,29,129

2017-18 : 7,80,000 ये इंतजाम नहीं

-अन्ना मवेशियों से बचाव

-पौधरोपण के लिए एनजीओ नहीं

-ट्री-गार्ड की व्यवस्था नहीं

-देखरेख के लिए बजट नहीं वन विभाग को इस बार 19.47 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है। पिछले वर्ष पौधों की बर्बादी को देखते हुए इस बार मनरेगा के तहत इन्हें रोपा जाएगा। मनरेगा फंड से ही उनकी देखरेख की जाएगी।

-मोहम्मद शफीक, प्रभागीय अधिकारी वन।

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