भक्ति और ज्ञान एक दूसरे के पूरक
-शिवपुराण कथा में भक्तों को बताए मुक्ति के उपाय -इंदुइयागंज गांव में श्री मनकामेश्वर मंदिर म
-शिवपुराण कथा में भक्तों को बताए मुक्ति के उपाय
-इंदुइयागंज गांव में श्री मनकामेश्वर मंदिर में आयोजन
संवाद सूत्र, गुरसहायगंज: भक्ति और ज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं, जहां भक्ति है वहां ज्ञान अवश्य होगा और जहां ज्ञान है, वहां भक्ति होगी। भक्ति से जन्म-जन्मांतर के पाप दूर हो जाते हैं। यह बात शिवमहापुराण कथा में आचार्य संत निराला जी महाराज ने कही।
ग्राम इंदुइयागंज में मनकामेश्वरनाथ मंदिर में आयोजित शिवपुराण कथा में उन्होंने कहा कि शिव सती के प्रसंग में और भक्ति ज्ञान में उसके नौ अंगों का वर्णन आता है, जिसमें भगवान की कथा का श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास भाव, सखा भाव, आत्मसमर्पण है। इनमें से एक भी भक्ति का अंश जीव में आ जाए तो भवसागर पार हो जाएगा। भक्ति और ज्ञान में कोई अंतर नहीं है। यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। शिव शक्ति के पुंज हैं। सूर्य, चंद्रमा, अग्नि इनके तीन नेत्र हैं। इसीलिए इनको त्रयंबक भी कहते हैं। भगवान शिव की कथा व्यक्ति को शिव कृपा से श्रवण करने को मिलती है। सावन के महीने में जल रूपी जीवन की वर्षा होती है। इसी वर्षा का आनंद सभी को लेना चाहिए। इस मौके पर आयोजक जगत स्वरूप ब्रह्मचारी, पूर्व प्रधान नागेंद्र सिंह सोलंकी, अशोककुमार गुप्ता, विजेंद्र सिंह, सुभाष चंद्र मिश्रा, राजू मिश्रा मौजूद रहे।