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फिर कार्रवाई की रडार पर अर्शी नर्सिंग होम!

जागरण संवाददाता, कन्नौज : प्रसव के दौरान गलत ऑपरेशन करने के बाद अब अर्शी नर्सिग होम भ्रूण

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 06:07 PM (IST)
फिर कार्रवाई की रडार पर अर्शी नर्सिंग होम!
फिर कार्रवाई की रडार पर अर्शी नर्सिंग होम!

जागरण संवाददाता, कन्नौज : प्रसव के दौरान गलत ऑपरेशन करने के बाद अब अर्शी नर्सिग होम भ्रूण परीक्षण करने के आरोप से घिर गया है। अल्ट्रासाउंड मशीन सील करने के बाद कोर्ट स्तर से कार्रवाई होना तय है।

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शुक्रवार को एसडीएम सदर शैलेष कुमार ने एसीएमओ डा. आरएन तिवारी के साथ अंधामोड़ जीटी रोड स्थित अर्शी नर्सिंग होम में छापा मारा था। नर्सिंग होम में 15 अक्टूबर से बिना पर्चा भरे भ्रूण परीक्षण किया जा रहा था। परीक्षण की इंट्री एक रजिस्टर में दर्शाई जा रही थी। अफसरों को मौके पर अल्ट्रासाउंड मशीन चालू मिली थी। लेकिन परीक्षण करने वाले सोनोलाजिस्ट व अन्य कर्मी नहीं मिले थे। इस पर पीएनडीपी एक्ट के तहत एसडीएम ने मशीन सील कर अभिलेख जब्त कर लिए थे। शनिवार को एसडीएम के निर्देश पर एसीएमओ डा. आरएन तिवारी ने रिपोर्ट तैयार की। जो डीएम को जाएगी। जिस पर सलाहाकार समिति विचार कर रिपोर्ट कोर्ट भेजेगी। इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। संचालक पर दो मुकदमे, कोर्ट के आदेश पर खुला था अस्पताल

अंधामोड़ जीटी रोड पर स्थित अर्शी नर्सिंग होम पांच महीने पहले विवादों में घिरा था। प्रसव के दौरान संचालक ने खुद आपरेशन कर एक महिला का गर्भाशय निकाल दिया था। आपरेशन करते अफसरों ने रंगे-हाथ पकड़ा था। संचालक के पास डिग्री न होने पर नर्सिंग होम सील हुआ था। साथ ही सदर कोतवाली में दो मुकदमे दर्ज कराए गए थे। संचालक को पकड़ने के लिए लखनऊ, प्रयागराज समेत कई जिलों में टीमें गठित कर तलाश की गई। हाईकोर्ट से आदेश लाने पर हाल में नर्सिंग होम खुला था। लेकिन फिर खिलवाड़ शुरू हो गया। कब्रिस्तान की जमीन पर बना नर्सिंग होम: नर्सिंग होम मालिक ने अपने बचाव व अस्पताल चालू करने के लिए लाखों रुपये खर्च किए थे। नर्सिंग होम का आगे का हिस्सा कब्रिस्तान की जगह पर बना पाया गया था। जिस पर डीएम ने जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इससे पहले रहे एसडीएम, सीओ व तहसीलदार ने जांच की थी। पैमाइश में कब्रिस्तान की जगह पाई गई। आगे का हिस्सा तोड़ने की बात कही गई थी। लेकिन प्रशासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला दबाने के लिए जांच अधिकारियों को लाखों रुपये देने की चर्चा भी रही थी। इस कारण कुछ अधिकारियों के तबादले भी हुए थे।


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