भर्ती होने के बाद घर भाग गए थे संक्रमित
मोहल्ला लाहौरी टोला का सामने आया है। उक्त युवक 25 मई को जांच कराने नगला दिलू स्थित 100 शैय्या अस्पताल गया था। जांच के बाद इसको वार्ड में रुकने को भेजा गया। वहां से चुपचाप यह चला आया। 27 को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इसकी तलाश की गई। यह घर पर स्वजनों के साथ मिला। इसे तिवर भेजा ग
संवाद सहयोगी, छिबरामऊ : कोरोना संक्रमण फैलाने में जहां श्रमिक सहायक हैं तो अस्पताल प्रबंधन भी कम दोषी नहीं है। कोरोना संदिग्ध दो युवक अस्पताल से चुपचाप घर चले गए और अस्पताल कर्मियों को भनक भी नहीं लगी। अब जिम्मेदार संसाधनों की कमी का रोना रो रहे हैं। इलाके में दो पॉजिटिव युवक संदिग्ध होने के बाद भी सैंपल देकर घर भाग गए थे, जिसका खामियाजा अब निरीह ग्रामीणों को 21 दिन तक झेलना पड़ेगा। एक छोटी सी लापरवाही की वजह से गांव को हॉट स्पॉट होना पड़ा।
बुधवार को जो चार लोग पॉजिटिव निकले, उनमें दो लोग सौ शैय्या अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की वजह से भाग निकले थे। शहर के मोहल्ला लाहौरी टोला व सौरिख के मझगवां बहादुरपुर में मिले संक्रमित युवक इसी अस्पताल में भर्ती थे। बुखार की वजह से इन्हें अस्पताल में ही रोका गया था। 25 मई की रात को दोनों घर भाग गए, जिसकी वजह से इन दोनों स्थानों को हॉटस्पॉट कर दिया गया। यदि दोनों अस्पताल में ही रहते तो मोहल्ला और गांव हॉटस्पॉट होने से बच जाते। सीएमएस डॉ. कुलदीप यादव ने प्रशासन पर ठीकरा फोड़ दिया। उनका कहना है कि अस्पताल में कोई सुरक्षा एजेंसी नहीं है। पुलिस चौकी गेट पर बनी है। परीक्षण के समय विवरण अंकित किया जाता है। इसके बाद रात को खाना देते समय ब्योरा मिलाया जाता है। रात को ड्यूटी पर केवल स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक ही रह जाते हैं। चुपचाप निकलने वाले लोगों को रोकने के उपाय प्रशासन स्तर से ही हो सकते हैं। नहीं भेजा गया हाईरिस्क क्वारंटाइन सेंटर
कोरोना संदिग्धों के लिए मानीमऊ में हाईरिस्क क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। जब दोनों प्रवासी युवकों को तेज बुखार था तो अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस से उन्हें हाईरिस्क क्वारंटाइन सेंटर क्यों नहीं भेजा! आइसोलेशन वार्ड में भर्ती लोग पूरे अस्पताल परिसर में घूमते रहते हैं, जिससे स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है।