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तहसील कार्यालयों में अधिवक्ताओं ने की तालाबंदी

संवाद सहयोगी छिबरामऊ साथी अधिवक्ता की जमीन पर कब्जे से नाराज अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर के कार्यालय बंद करवा दिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 06:07 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 06:07 PM (IST)
तहसील कार्यालयों में अधिवक्ताओं ने की तालाबंदी
तहसील कार्यालयों में अधिवक्ताओं ने की तालाबंदी

संवाद सहयोगी, छिबरामऊ: साथी अधिवक्ता की जमीन पर कब्जे से नाराज अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर के कार्यालय बंद करवा दिए। तालाबंदी कर नारेबाजी कर परिसर में जुलूस निकाला। साथी को न्याय न मिलने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी।

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बार एसोसिएशन छिबरामऊ के अध्यक्ष रामचंद्र मिश्रा व महासचिव चंद्रजीत यादव की उपस्थित में बैठक आयोजित की गई थी। अधिवक्ता को न्याय न मिलने तक न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया गया था। शनिवार को अधिवक्ता रजनीश यादव के नेतृत्व में एकत्रित हुए अधिवक्ताओं ने साथी अधिवक्ता की पत्नी व अन्य स्वजनों के खिलाफ पाबंद किए जाने की कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई। इसके बाद तहसील परिसर के सभी कार्यालय बंद कराए और ताले लगवा दिए। अधिवक्ताओं ने कहा कि पुलिस प्रशासन लगातार उत्पीड़न कर रहा है। पुलिस की मिलीभगत से निर्माण कराया गया। इसके बाद अब अधिवक्ता व उनके स्वजनों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। दूसरे पक्ष पर केवल एक बार ही पाबंद करने की कार्रवाई की गई है। वही अधिवक्ता के पक्ष में तीसरी बार कार्रवाई हुई है। पुलिस का यह कृत्य निदनीय है। इस दौरान अधिवक्ता अशोक श्रीवास्तव, राजीव हजेला, नेमसिंह यादव, राजेश शाक्य मौजूद रहे। पुलिस रिपोर्ट से पहले जारी हो गए नोटिस, मांगा स्पष्टीकरण

अधिवक्ता जमीन प्रकरण में कोतवाली छिबरामऊ की ओर से 21 जनवरी को सात लोगों को पाबंद किया गया। इसकी रिपोर्ट उप जिला मजिस्ट्रेट छिबरामऊ को भेजी गई। एसडीएम ने इन सभी को 30 जनवरी की सुबह 10 बजे कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए। एसडीएम हस्ताक्षर युक्त यह पत्र 19 जनवरी की तिथि में जारी किया गया। शनिवार सुबह जब यह पत्र अधिवक्ताओं को मिला, तो उन्होंने नाराजगी जताई। पुलिस रिपोर्ट से दो दिन पहले नोटिस जारी हो जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। मामला एसडीएम के संज्ञान में पहुंचा। उन्होंने पटलीय लिपिक को पत्रावली सहित तलब किया। एसडीएम देवेश कुमार गुप्त ने बताया कि संशोधन नोटिस जारी कराया जा रहा है। इस लापरवाही में पटलीय लिपिक से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।


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