Move to Jagran APP

जागरण पड़ताल) स्कूलों में बिना किताब, कैसे बच्चे बनेंगे 'नवाब'

स्कूलों में बिना किताबस्कूलों में बिना किताबस्कूलों में बिना किताबस्कूलों में बिना किताब

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jul 2022 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jul 2022 08:25 PM (IST)
जागरण पड़ताल) स्कूलों में बिना किताब, कैसे बच्चे बनेंगे 'नवाब'
जागरण पड़ताल) स्कूलों में बिना किताब, कैसे बच्चे बनेंगे 'नवाब'

जागरण पड़ताल) स्कूलों में बिना किताब, कैसे बच्चे बनेंगे 'नवाब'

loksabha election banner

जागरण टीम, कन्नौज : पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब...यह कहावत काफी पुरानी है, लेकिन बिना किताबों के पढ़ाई कर पाना संभव नहीं है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के लिए सरकार ने निश्शुल्क पाठ्य-पुस्तकों की व्यवस्था की है, मगर अभी तक बच्चों को किताबें नसीब नहीं हुईं हैं। जिले में 1459 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें लगभग 1.73 लाख बच्चे नामांकित हैं। पिछले 16 जून से विद्यालय खुल रहे हैं। एक माह का समय बीत गया, लेकिन अभी तक बच्चों को किताबें नहीं मिलीं। स्कूलों में मनमान तरीके से पढ़ाई हो रही है। कई विद्यालयों में तो पाठ्ययोजना भी नहीं बनाई है। ऐसी स्थिति में बुनियादी शिक्षा कैसे मजबूत होगी, यह एक यक्ष प्रश्न है। पेश है प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर पड़ताल करती हुई यह रिपोर्ट -

---------------

बिना किताबों के स्कूलों में सीख रहे क ख ग

संवाद सूत्र, सौरिख: ब्लाक संसाधन केंद्र अंतर्गत कुल 181 परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसमें प्राथमिक विद्यालय 130, उच्च प्राथमिक विद्यालय 28 व कम्पोजिट विद्यालय 23 शामिल हैं। इन विद्यालयों में कुल 14 हजार छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। शासन के निर्देश पर इस बार परिषदीय विद्यालय 15 जून से खोल दिए गए थे। शिक्षण कार्य शुरू करवा दिया गया था। 15 जून से शिक्षक व बच्चे नियमित विद्यालय जा रहे हैं। वहीं अब तक इन परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के लिए पुस्तकें ही नहीं पहुंची है। जुलाई माह समाप्ति की ओर है। बुधवार को प्राथमिक विद्यालय अढ़नापुर में कक्षाओं में बच्चे बैठे हुए थे। शिक्षक उन्हें पढ़ा रहे थे। कई बच्चों के पास किताबें नहीं थी। कुछ पुरानी किताबों के सहारे पढ़ रहे थे। सरकार की इस ढुलमुल रवैया को लेकर अभिभावकों में नाराजगी है। विद्यालय में पढ़ रहे छात्र अभय राम, सचिन कुमार, प्रियंका व पवन कुमार आदि ने बताया कि अभी तक विद्यालय में किसी भी छात्र को नई किताब नहीं दी गई है। कुछ बच्चे पुरानी किताबें लेकर आते हैं। उन्हीं से पढ़ाई कराई जा रही है।

-

15 जून से विद्यालय खोले गए हैं। एक माह से अधिक का समय बीत गया है। अब तक बच्चों को नई किताबें उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। देर से पुस्तकें मिलने पर बच्चों को समझने में दिक्कत होगी।

- उमेश चंद्र, अभिभावक

बिना किताबों के बच्चे स्कूल जा रहे हैं। उनका कोर्स पिछड़ रहा है। कक्षा में कुछ बच्चों के पास ही किताबें हैं। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए

- अजय कुमार, अभिभावक

नया सत्र चल रहा है। जुलाई मांह के 20 दिन बीत गए हैं। कुछ बच्चे पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं। इससे नई किताब मिलने पर उन्हें समझने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

- लक्ष्मण सिंह, अभिभावक

--

अभी तक बच्चों के लिए शासन से किताबें उपलब्ध नहीं हो सकी है। बीआरसी पर जमा पुरानी किताबों का वितरण दोबारा से कराया गया है। इससे पढ़ाई कराई जा रही है। जल्द ही किताबें आ जाने की उम्मीद है। इनके आते ही छात्र-छात्राओं को वितरण कराया जाएगा।

- सर्वेश कुमार यादव, खंड शिक्षाधिकारी सौरिख

------------------

पिछले तीन माह से बिना किताब पढ़ रहे बच्चे

संवाद सहयोगी, तिर्वा : विकास खंड उमर्दा के प्राथमिक, जूनियर व कंपोजिट के 325 स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों में 33,216 छात्र-छात्राएं पंजीकृत है। स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 अप्रैल से शुरू कर दिया गया था। तब से लगातार स्कूलों में कक्षाएं भी चल रहीं हैं और छात्रों ने तीन माह की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है। एक अप्रैल से 20 मई तक स्कूलों में पढ़ाई चलती रही। इसके बाद गर्मियों की छुट्टी 21 मई से 20 जून तक रही। 21 जून से स्कूलों में फिर से शिक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है। इस वर्ष अभी तक छात्रों को एक भी किताब पढ़ाई करने के लिए नसीब नहीं हो सकी। बिना किताबों के ही स्कूलों में पढ़ाई चल रही है। शिक्षकों ने वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए पदोन्नति हुए छात्रों की किताबें जमा कराई और नवीन छात्रों को वितरण कर दी। इसमें करीब 30 प्रतिशत छात्रों को पुरानी किताबें मुहैया कराई जा सकी। उन किताबों में भी आधे से अधिक चैप्टर फटे हुए हैं। एक किताब से पांच-पांच छात्र पढ़ाई करते हैं। घर जाकर पढ़ने के लिए उनके पास कोई किताब नहीं रहती। इसके साथ ही अगस्त तक किताबें मिलना भी मुश्किल हैं। कारण, अभी तक शासन से जिला मुख्यालय पर ही किताबों की सप्लाई नहीं हो सकी।

ये है परिषदीय स्कूलों की स्थिति

स्कूल संख्या छात्र

प्राथमिक स्कूल 228 21,479

पूर्व माध्यमिक 63 4,260

कंपोजिट स्कूल 34 7,477

यह समस्या शासन स्तर से हैं। टेंडर हो चुका है। जिला मुख्यालय पर किताबों की सप्लाई होने के बाद ब्लाक स्तर पर और फिर न्याय पंचायत स्तर से किताबों का वितरण कराया जाएगा।

राजेश कुमार वर्मा, बीईओ, ब्लाक-उमर्दा

-----------------------

पाठ्य-पुस्तकों के लिए शासन को पत्र भेज दिया गया है, तब तक सभी शिक्षकों को दीक्षा एप व रीड अलांग एप और बीआरसी में उपलब्ध पिछले सत्र की पुस्तकों से पढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। निर्धारित समय पर पाठ्यक्रम को पूरा कराया जा रहा है।

-कौस्तुभ कुमार सिंह, बीएसए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.